बैरिक का लॉकअप होते ही जैसे समय थम सा गया। कल तक मुझे केवल अपनी ही परेशानियाँ दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब ऐसा महसूस हो रहा है कि समाज के आईने पर जमी धूल धीरे-धीरे साफ होने लगी है। समाज में छिपे स्वार्थ
मेरे घर का निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन तभी मेरी नानी की तबियत खराब हो गई। उन्हें कैंसर की शिकायत थी और उनका इलाज चल रहा था। मैंने सोचा था कि मेरे घर का निर्माण होने से पहले नानी की तबियत ठीक हो जा
🙏 जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियाँ कभी-कभी व्यक्ति को निराशा की गहराईयों में धकेल देती हैं, जहाँ उसे लगता है कि अब आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में, मन में आत्महत्या जैसे घातक
बरसती शाम का आलम, दिल में उतर आया,भीगी-भीगी राहों में, एक ख्वाब सा छाया।मिट्टी की सौंधी खुशबू, सांसों में बसी है,पत्तों पर टप-टप बूंदें, जैसे राग कोई फिजा में घुली है।चाय की प्याली संग, यादें भी ताज़ा
हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे धार्मिक ग्रंथों में छिपा हुआ है। उपनिषद, जो वेदों के अंतिम भाग के रूप में प्रसिद्ध हैं, ज्ञान और आत्मा की गहरी खोज के प्
पुरुष जो, लंबे समय से, संचित कर रहे होते है अपने दुःख, किसी करीबी के आ जाने पर, लावा की तरह फूट पड़ते है
कुछ इस तरह से साँसों का बंधन है तुमसे मेरासाँस लेते हो तुम वहाँ, तो जी लेते हैं हम यहाँ
प्रणाम सिस्टर, Yes, हम क्या खाए और कैसा खाए हमारा शरीर एक भौतिक शरीर है जो मेटर से निर्मित है। जब किसी हिंसक व पालतु पशु-पक्षी का मांस खाते है तो उसका आचरण,डर व बल भी उसमे समा
प्रणाम स्वामी जी, Yes, अब हमे अपना जीवन बचाना है तो पृथ्वी को सुरक्षित रखना होगा। बहुत दोहन कर लिए उसके प्रति संवेदनशीलता हमारी कम रही है। पेड़ पौधे काट डाले,उपजाऊ भूमि
प्रणाम सिस्टर, Yes, हम वही देखे जो देखना चाहते है । हम वही बोले जो सकारात्मक है। हम वही सुने जो सत्यता की ओर ले जाए जिस तरह से एक बच्चा रेत से सीपी को चुन लेता है
"आधा ख्वाब आधा इश्क अधूरी सी बंदगी", "मेरी हो पर मेरी नहीं कैसी है ये जिंदगी"!
किसी ने पूछा चाय से इतना इश्क क्यों,मैंने कहा आधा दर्द तो वो ही चुरा लेती है।-दिनेश कुमार कीर
प्रणाम सिस्टर , हाँ, सुबह नींद खुलते ही हम परमात्मा को थैंक्स कहे । आज हमारी नींद खुल गई आज हम फिर जीवित है हमें एक मौका जीवन जीने का और दिया है। इस संसार में तो कई लोग रात सो
प्रणाम गुरुदेव, हाँ, दुनिया से नफरत मिट जाए यही लोग चाहेंगे। जहाँ जहाँ हिंसा अपराध हत्या हो रहा है वहाँ के लोगो से पूछो तो जिन पर मौत हर पल गुजर रही है लोग सुकुन और शान्ति का
किसी को तो पसंद आएंगे हम भीकोई तो होगा जिसे दिखावा नहीं, सादगी पसंद हो-दिनेश कुमार कीर
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, हर व्यक्ति का कोई न कोई उद्देश्य होता है जैसे कोई पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहता है। कोई बिजनेस करना चाहता है। कोई नेता या अभिनेता बनना चाहता है। यह उद्देश्य
प्रणाम सिस्टर, हम किसी की मदद करे और उनसे इस तरह मदद की अपेक्षा न रखे क्योकि उसके सीडी में अलग अंकित है जो आपके सीडी में था आपने चलाया उसके सीडी है वो वैसा ही चलाएगा। याने कि न
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, जिस प्रकार से एक बीज में विशाल वृक्ष छिपा है। उसी प्रकार से हमारे अंदर ही असली राज छिपा है। आप अंदर से कैसे हैं वही बाहर शरीर मन व आपका जीवन शैली निर्भर
प्रणाम सिस्टर, होली के त्यौहार का महत्व हमे समझना चाहिए। होली के एक दिन पूर्व होली जलाई जाती है ।लकड़ी,कन्डा या घास फुस को एकत्र कर जलाया जाता है। हमे इस आग में अपनी बुराइयां व
प्रणाम गुरुदेव, हाँ, मेरा पेट भरा है तो सम्भावना है कि मैं दूसरो को खिलाऊँगा या किसी का भोजन तो नही छीन सकता। संतुष्टि वह विरामावास्था है जिसमे परिधि पर संसार तो चलता है केन्द