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Jitendra Kumar sahu के बारे में

मैं एक शिक्षक हूँ ।मुझे लिखना अच्छा लगता है । मेरा अन्य विवरण है- नाम-जितेंद्र कुमार साहू पिता-स्व श्री वाल सिंह साहू जन्म तिथि-21/09/1980 शिक्षा- बी.एससी.(गणित) ,डी.एड. एम.ए.(अर्थशास्त्र) व एम.ए.(लोक प्रशासन) व्यवसाय/पद- शिक्षक अन्य- यूट्यूब में मेरे बेसिक गणित से सम्बंधित 140 वीडियो है। मेरा चैनल -@VIVIDHEDUCATION पता- ××××××(छ ग)पिन-××××××

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-07-23
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-07-21
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-09-01
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-08-06
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-07-03
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-06-21
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-06-12
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-06-05
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-05-22
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-05-14
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-27
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-04
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-03-24
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-03-20
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-03-13

Jitendra Kumar sahu की पुस्तकें

अनुभव के मोती

अनुभव के मोती

विविध विषयो पर लेख इस किताब में है ।काव्य निबंध गजल आदि विधाओ में अप्रतिम संकलन ।

119 पाठक
34 रचनाएँ

निःशुल्क

अनुभव के मोती

अनुभव के मोती

विविध विषयो पर लेख इस किताब में है ।काव्य निबंध गजल आदि विधाओ में अप्रतिम संकलन ।

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दैनंदिनी फरवरी

दैनंदिनी फरवरी

मासिक डायरी लेखन

91 पाठक
20 रचनाएँ

निःशुल्क

दैनंदिनी फरवरी

दैनंदिनी फरवरी

मासिक डायरी लेखन

91 पाठक
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माय स्कूल डेज़

माय स्कूल डेज़

अनुभव पर आधारित जीवन के संघर्षों उपलब्धीयो बच्चो व अन्य लोगों के साथ बिताए पलो को किस तरह हम ग्रहण करते हैं । जिस प्रकार से हँस मोती चुगता है उसी प्रकार से मैं बेहोशी में होश को चुगने का प्रयास कर रहा हूँ । हा हमे शुभ की कामना करनी है तभी हम उस स्रोत

70 पाठक
25 रचनाएँ
12 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 63/-

प्रिंट बुक:

185/-

माय स्कूल डेज़

माय स्कूल डेज़

अनुभव पर आधारित जीवन के संघर्षों उपलब्धीयो बच्चो व अन्य लोगों के साथ बिताए पलो को किस तरह हम ग्रहण करते हैं । जिस प्रकार से हँस मोती चुगता है उसी प्रकार से मैं बेहोशी में होश को चुगने का प्रयास कर रहा हूँ । हा हमे शुभ की कामना करनी है तभी हम उस स्रोत

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दैनंदिनी मार्च

दैनंदिनी मार्च

मासिक डायरी लेखन।इस बुक में महत्वपूर्ण दिवस के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला है।जीवन में संगीत उल्लास के प्रभाव से परिचित कराया गया है।

67 पाठक
23 रचनाएँ

निःशुल्क

दैनंदिनी मार्च

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मासिक डायरी लेखन।इस बुक में महत्वपूर्ण दिवस के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला है।जीवन में संगीत उल्लास के प्रभाव से परिचित कराया गया है।

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गोल्डन मीन(golden mean)

गोल्डन मीन(golden mean)

हम जो जीवन जी रहे है क्या उससे हम संतुष्ट है।हमने जो चाहा था वो हमे मिल गया भरपूर पैसा मनमाफिक पद व प्रतिष्ठा।क्या हम अब भी खुश है? हमने वो सफर पूरी कर ली जिसकी तलाश थी।मैं ऊन लोगो को पूछ रहा हूँ जिन्होंने सफलता पा ली अब वे अपने जीवन से संतुष्ट है।जब

55 पाठक
22 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 40/-

प्रिंट बुक:

177/-

गोल्डन मीन(golden mean)

गोल्डन मीन(golden mean)

हम जो जीवन जी रहे है क्या उससे हम संतुष्ट है।हमने जो चाहा था वो हमे मिल गया भरपूर पैसा मनमाफिक पद व प्रतिष्ठा।क्या हम अब भी खुश है? हमने वो सफर पूरी कर ली जिसकी तलाश थी।मैं ऊन लोगो को पूछ रहा हूँ जिन्होंने सफलता पा ली अब वे अपने जीवन से संतुष्ट है।जब

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दैनंदिनी जनवरी 2023

दैनंदिनी जनवरी 2023

मासिक डायरी लेखन । हम सदा भूत या भविष्य में रमे रहते है ।वर्तमान में कभी जीते नही।नया साल मनाते है केवल एक दिन के लिए जबकि यहाँ हर दिन नया है ।जरा जागे नासमझी को समझे।प्रतिपल जीवन जिए ।

52 पाठक
15 रचनाएँ

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दैनंदिनी जनवरी 2023

दैनंदिनी जनवरी 2023

मासिक डायरी लेखन । हम सदा भूत या भविष्य में रमे रहते है ।वर्तमान में कभी जीते नही।नया साल मनाते है केवल एक दिन के लिए जबकि यहाँ हर दिन नया है ।जरा जागे नासमझी को समझे।प्रतिपल जीवन जिए ।

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मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

अनुभव के मोती। इस पुस्तक में जीवन मूल्य का अहसास कराती कविता,गजल व मुशायरों का संग्रह है।कैसे हम उस रास्ते को भटक गए है जो रास्ता उस प्रकाश की ओर जाता है जो सदा प्रकाशमान है। जो सदा शाश्वत है।

25 पाठक
15 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

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₹ 33/-

मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

अनुभव के मोती। इस पुस्तक में जीवन मूल्य का अहसास कराती कविता,गजल व मुशायरों का संग्रह है।कैसे हम उस रास्ते को भटक गए है जो रास्ता उस प्रकाश की ओर जाता है जो सदा प्रकाशमान है। जो सदा शाश्वत है।

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दैनन्दिनी अप्रैल

दैनन्दिनी अप्रैल

मासिक डायरी लेखन

20 पाठक
15 रचनाएँ

निःशुल्क

दैनन्दिनी अप्रैल

दैनन्दिनी अप्रैल

मासिक डायरी लेखन

20 पाठक
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मधुकोश

मधुकोश

जिस प्रकार से मधुमक्खियाँ फूलो का रस चूसकर मधुकोश का निर्माण करती है उसी प्रकार जीवन के विभिन्न पहलुओं के रस का निचोड़ इस काव्य-संग्रह में है। हम जो है वही हम प्रक्षेपण करते है उसी का रंग संसार में भरते है। हमारा होना हमारी आन्तरिक परिणाम का कारण है

18 पाठक
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मधुकोश

मधुकोश

जिस प्रकार से मधुमक्खियाँ फूलो का रस चूसकर मधुकोश का निर्माण करती है उसी प्रकार जीवन के विभिन्न पहलुओं के रस का निचोड़ इस काव्य-संग्रह में है। हम जो है वही हम प्रक्षेपण करते है उसी का रंग संसार में भरते है। हमारा होना हमारी आन्तरिक परिणाम का कारण है

18 पाठक
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बात मुलाकात

बात मुलाकात

नवम्बर माह के लेख जिसका मुझे अनुभव इस माह हुआ है।कलम की स्याही से उतारने का प्रयास किया हूँ ।

9 पाठक
18 रचनाएँ

निःशुल्क

बात मुलाकात

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नवम्बर माह के लेख जिसका मुझे अनुभव इस माह हुआ है।कलम की स्याही से उतारने का प्रयास किया हूँ ।

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Jitendra Kumar sahu के लेख

सरहद

26 जुलाई 2024
0
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वो दिन याद है जानी जब सरहद पर चले जाते हम अपने घर से बहुत दूर होते गर्म मरुस्थल में तो कभी ठंडी बर्फ में रहना होता तूफानी हवा,तेज धूप सहना होता। लंबी यात्रा में माँ के हाथ का बना पराटा और

हाय रे हाय रे हाय बजट

23 जुलाई 2024
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हाय रे हाय रे हाय बजट दुनिया में बढ़ गया कपट कितनी महंगाई बढ़ गई कैसे खरीदे समान उसमें ये एम आर पी मार गई पेट्रोल डीजल ने उडाई नींद सारा पैसा लील गई गट गट हाय रे हाय रे हाय बजट-------

गुरु कौन

21 जुलाई 2024
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गुरु कौन ? माँ जिसने दुध पिलाया पिता जिसने गोद में उठाया क्या क्या मिला जो गुरु कहलाए  गुरु कौन? जिसने पढ़ाया लिखाया नैतिक शिक्षा दिया हाथ डिग्री भी थमाया किस काम आया गुरु कौन? मु

अपने सपने

21 जुलाई 2024
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सच होते सपने आँखो के नीचे नींद की गहराइयों में बुन रहे सपने सपने किसके किसके जो मान लिए अपने सबके सपने कब होंगे पूरे जो मान लिए अपने अपने सपने अपने जो साथ लिए दूसरो के सपने ना जाने उन

ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवन्ती

14 मई 2024
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ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती । अभी खिले हो नव रस लिए हो हो जाओ अभी समर्पित कर जाओ भक्ति अर्पित ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती ।1। प्रफुल्लित हवा मदहोश खुशबू है मनभावन

जन्म मिला है क्या करेंगे

14 मई 2024
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जन्म मिला है क्या करेंगे इस संसार में सदा नही रहेंगे। किन राह पर चलना है पहले ये तय करना है कैसे भी हो काँटे हम श्वास श्वास हो जायेंगे जन्म मिला है क्या करेंगे। इस संसार में सदा नही रह

मनखे मनखे एक समान

14 मई 2024
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मनखे मनखे एक समान करीया गोरा के का भेद छोकरा अउ डोकरा के का भेद सबो ला दे हे मति समान मनखे मनखे एक समान। जात पात तो अलग हे त एमे घबराए के का बात सबे के माटी तो एक हे जो पोषण करके बचा

माँ तेरा यह अर्पण

12 मई 2024
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माँ तेरा यह अर्पण, मेरा जीवन कर गया तर्पण। जन्म से पहले पोषण दिया चुकाया हर सम्भव हर दाम धैर्य भाव से काम किया सम्हाला हर पल हर क्षण माँ तेरा यह अर्पण , मेरा जीवन कर गया तर्पण। जन्म

कोई शाकाहार नही है

23 अप्रैल 2024
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प्रणाम सिस्टर,                    Yes, हम क्या खाए और कैसा खाए हमारा शरीर एक भौतिक शरीर है जो मेटर से निर्मित है। जब किसी हिंसक व पालतु पशु-पक्षी का मांस खाते है तो उसका आचरण,डर व बल भी उसमे समा

धरती माँ

22 अप्रैल 2024
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प्रणाम स्वामी जी,                          Yes, अब हमे अपना जीवन बचाना है तो पृथ्वी को सुरक्षित रखना होगा। बहुत दोहन कर लिए उसके प्रति संवेदनशीलता हमारी कम रही है। पेड़ पौधे काट डाले,उपजाऊ भूमि

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