वो सीने में आग, दिलों में तूफ़ान रखते हैं,
अपने बुलंद हौसलों से झुकाकर आसमान रखते हैं
नहीं कोई मुश्किल बड़ी उनके आगे
वो संकट से लड़ने का हर सामान रखते हैं
किसी मोड़ पर जो ठिठक जाएं वो तो
गिरे शहसवार को उठाने का अरमान रखते हैं
हैं मंजिल को पाने की यहाँ फिक्र किसको
वो रास्तों पर चलने का दिलों में तूफ़ान रखते हैं
पीकर नफ़रत और अपमान के हलाहल
वो प्रेम और सम्मान का वरदान रखते हैं
वो सीने में आग, दिलों में तूफ़ान रखते हैं,
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जय हिंद