नज़र से नज़र की सिफ़ारिश न होती
तो दिल में मोहब्बत की ख़्वाहिश न होती
सभी अपनी तहज़ीब पहचानते अगर
बदन की कहीं भी नुमाइश न होती
ख़लल कुछ इबादत में पड़ता नहीं तब
जो इन्सां की फ़ितरत में लग्ज़िश न होती
अगर तुम न मिलते हमें ज़िंदगी में
जहां में हमारी रिहाइश न होती
छुपाए मोहब्बत कभी छुप सकी क्या
कहाँ तक इन आँखों से बारिश न होती