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नए पुराने रिश्ते

13 मई 2022

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दिलीप कुलकर्णी ,और राधिका देशपांडे दोनो ही एक कॉफी शॉप में बैठे हैं,,!!

राधिका कहती है ,*" मैं तो  आज फ्री हो गई , बेटा हमेशा के लिए ऑस्ट्रेलिया चला गया , उसकी ऑस्ट्रेलियन वाइफ यहां आना ही नही चाहती है , बेटा मुझसे कहने लगा की जब तुम्हे चलना ही नही है , तो मुझे तो जाना ही होगा , अगर तुम ना होते तो मैं भी चली जाती पर तुम्हारे लिए तो मैं स्वर्ग का दरवाजा भी ठुकरा सकती हूं, और वैसे भी बेटे को मुझसे कभी लगाव ही नही रहा , मेरे सास ससुर और हसबैंड के एक्सीडेंट के बाद मेरा थोड़ा ख्याल रखने लगा था !!

दिलीप कहते हैं ,*" यू आर सो लकी , कम से  कम बेटा तो चाहता है , यहां तो बेटी मुझे खा जाने को दौड़ती है , पता नही क्या सीखा रखा है स्नेहा ने उसे जैसे ही समझदार हुई मुझसे दूर होती गई , स्नेहा ने तो शादी ही क्यों किया था मुझे समझ ही नही आया ,पहली बेटी हुई तो मेरी इच्छा एक बेटे की भी थी ,पर उसने बताए बिना ही  अपना ऑपरेशन करा लिया ,जब मैने पूछा तो कह दी मुझे एक बेटी ही चाहिए थी वो मिल गई *"!!

राधिका कहती हैं ,*" इस मामले में मैं लकी रही ,सुनील मुझे बहुत चाहता था ,पर तुम्हारे प्यार में मैं पागल थी ,उसे कभी संतुष्ट नहीं कर पाई , इसका अफसोस मुझे उसके मरने के बाद बहुत हुआ , इसमें उस बेचारे की क्या गलती थी , मैं कभी तुम्हे अपने दिल से निकल नही पाई , इसीलिए जिद करके फ्लैट भी तुम्हारे सोसाइटी के पास ही लिया ,ताकि आते जाते तुम्हे देख सकूं , पर मैं उसके रहने तक कभी तुमसे मिली नही सिर्फ इसलिए की में कहीं बहक नही जाऊं , मैं  अपने हसबैंड के प्रति लॉयल रहना चाहती थी ,!!

दिलीप कहते हैं ,*" मैने भी तो वही किया ,तुम्हे रोज देखने के बाद भी कभी तुम्हारा नंबर नही लिया , और अब भी तुमसे दूरी बनाकर ही रखा हूं , ताकि कोई यह ब्लेम न लगा सके की मैने अपनी पत्नी को धोखा दिया , मैने तो सब कुछ सह कर भी उसका साथ दिया ,जबकि पिछले दस वर्षो से हमारे बीच कोई बातचीत भी नही हुई है ,*"!!

राधिका कहती है ,*" काश उस समय आज कि तरह हम भीं बोल पाते , हम एक दूसरे को जान से भी अधिक प्यार करने के बाद भी मां बाप के सामने कह नहीं पाए और उन्होंने जहां कहां चुप चाप शादी कर लिया ,*"!!

दिलीप कहते हैं ,*" मैं तो अपने बाबा  की आवाज सुन कर ही घबरा जाता था ,उनसे कुछ कहने की बात तो बहुत दूर की थी , डिग्री मिलते ही जब मैं घर पहुंचा तो उन्होंने फरमान सुना दिया , ,*" दिलीप तुम्हारी शादी तय कर दी गई है लड़की बहुत सुशील है , अध्यापिका है , सरकारी स्कूल में नौकरी भी कर रही है , *" मैं तो  कुछ बोल ही नहीं पाया टेंशन के मारे तीन चार दिन  घर से नही निकला, मेरी समझ में नही आ रहा था की तुमसे क्या कहूं ,एक दिन फोन भी लगाया तो  तुम्हारे पापा ने उठाया तो मैं कुछ बोल ही नहीं पाया वो हेलो हेलो करते रह गए ,और मैने रिसीवर रख दिया था ,*"!!

राधिका कहती हैं ,*" और उसी बीच मेरी शादी भी तय  हो गई थी , और मेरी स्थिति भी तो तुम्हारी तरह थी ,तीन बहनों में सबसे बड़ी थी और मेरे एक गलती से उनकी लाइफ भी बरबाद हो सकती थी , पापा हमे लेकर मामा के घर चले गए और वही पर  सगाई और शादी दोनो ही कर के लौटे थे ,*"!!

दिलीप घड़ी देखते है और कहते हैं *" बहुत देर हो गई है , कल बेटी भी बिदा हो जायेगी ,परसो हमारी हियरिंग है उसके बाद  मैं भी फ्री ,""!!
दिलीप  राधिका को उसके घर छोड़ अपने घर पहुंचता है ,वह चाभी से दरवाजा खोलता है ,घर में उनकी बहन ओर मामी आई थी ,बेटी की शादी हुए  दस दिन हो गए थे , सभी मेहमान जा चुके थे  बहन और मामी एक कमरे में सोए थे , बेटी वैभवी और स्नेह दोनो ही अपने कमरे में सोए थे , यह एक थ्री बीएचके का छोटा सा बंगलो था , वह  अपने कमरे में जाते हैं , कपड़े चेंज कर फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर ढक कर रखे खाने को देखते हैं , पिछले दस साल से वह इसी तरह रखा हुआ खाना खा रहे थे ,कभी कोई मेहमान आ गया तो सभी दिखावे के लिए एक साथ बैठ जाते थे , वरना एक साथ टेबल पर नजर नही आते थे , *"!!

स्नेहा को पता नही क्यों बचपन से ही पुरुष जाती से चिढ़ थी , वह अपने बाबा और भाइयों से भी चिढ़ती थी, इस बात का एहसास उसके पिता को हुआ तो उसकी मां ने कहा की शादी के बाद सब ठीक हो जायेगा , !!
दिलीप जब देखने भी आए थे तो उसने उस्कीनोर देखा तक नही था ,और दिलीप को तो पहले से ही आदेश हो चुका था की शादी उसी से करनी है , जब सभी ने इन दोनो को आपस में बात करने को कहा तो दोनो ही बाहर आ कर बालकनी में खड़े हो गए थे ,और नीचे आते जाते हुए लोगो को देख रहे थे , ना दिलीप ने कुछ कहा था और न ही स्नेहा ने , हां दिलीप उसमे राधिका को खोजने की बाहरपुर कोशिश कर रहा था पर किसी भी एंगल से वह राधिका नही थी , और ना ही  उसकी तरह चंचल थी , फिर भी उसने बड़ी हिम्मत करके पूछा  था , *" मैं आपको  पसंद तो हुं ,*"!
स्नेहा ने कहा था ,*" हाड़ मांस के पुतले एक जैसे ही होते हैं ,  सिर्फ बनावट अलग अलग होती है , जब बड़ो का आदेश ही मानना है तो पसंद न पसंद किस बात का ,और वह अंदर चली गई थी, दिलीप को इस बात की खुशी हुई की वह बोलती तो थी ,!!
दिलीप ने खाना खाया ,और अपने बेड पर लेट गया , उसे याद था की शादी के कई दिन बाद तक उनके संबंध बन नही पाए थे ,फिर पता नही कब स्नेहा को उस पर दया आई और कुछ दिन साथ बिताए जिसका नतीजा  वैभवी थी और उसके होते ही वह फिर से बदल गई फिर कभी दो चार महीने में एक साथ होते फिर वही हाल होता ,*"!!
दिलीप के पास मां बाप पत्नी और बेटी होने के बाद भी नितांत अकेला था ,वैसे उसके दिल से  भी  राधिका की याद कभी गई नही थी वह तो रोज राधिका को देखने के लिए उसके बिल्डिंग के सामने वाले छोटे से चाय की दुकान पर खड़ा दो तीन चाय तो पी लेता था ,*"!!!
उस दिन वह जब वहां आकर खड़ा हुआ और एंबुलेंस से तीन तीन लाशे उतरी और राधिका रोटी हुई लाशों पर सर पटकने लगी तो उस से रहा नही गया और उसने राधिका को 24 वर्षो के बाद  छुआ था , वैसे राधिका के ससुराल के लोग आ गए थे ,उसके माता पिता भी वहीं  थे वह भी बहुत बुजुर्ग हो गए थे , उस दिन से रोज एक बार वह उसके घर जाने लगा था ,दिलीप के कारण ही राधिका जल्दी से उस सदमे से बाहर आ गई थी ,सभी रिश्तेदार तो दूसरे दिन ही चले गए , और बीच बीच में आकर हाजिरी लगा देते थे , उनका बेटा कार्तिक तो फाइनल ईयर में था, एग्जाम की वजह से वह भी जल्दी चला गया था ,,!!
राधिका और दिलीप का फिर मिलना जुलना शुरू हुआ तो उनकी धड़कने फिर बढ़ गई थी , दोनो ही दुखी थे और दोनो का ही सोया प्यार जागृत हो उठा , !!
स्नेहा अब प्रिंसिपल हो गई थी उसने दिलीप से कह दिया था की बेटी की शादी करके वह अलग रहने चली जायेगी , उसने किसी महिला आश्रम में बात भी कर ली थी ,वैसे भी स्नेहा  दिलीप से कभी कुछ पूछती नही थी , और उसने ही वकील से मिलकर डाइवोर्स पेपर भी बनवा लिया था और दिलीप से साइन करवा कर कोर्ट में दाखिल भी करवा दिया था, दिलीप ने तो कुछ कहा ही नहीं था , इस बीच राधिका और दिलीप के रिश्ते फिर से पुराने प्रवाह में बहने लगे थे , दिलीप भी अब दो साल में रिटायर होने वाला था , बंगला उसका अपना था , स्नेहा ने कभी अपनी कमाई का एक पैसा भी उसे नही दिया था ,""!!

सुबह वैभवी का पति और उसके पिता लेने आ गए थे , वैभवी मां के गले लग कर बहुत रोई थी ,पर बुआ और मामी को और देखा भी नहीं  और न ही पिता की ओर देखा ,जबकि दिलीप  का मन बेटी के जाने से अंदर ही अंदर रो रहा था, पर क्या करता जब अपने ही अपने न रहे ,बेटी का रिश्ता भी स्नेहा ने देखा था ,और शादी तय करके दिलीप को बता दिया था की वैभवी की शादी है , और बिना किसी शोर शराबे के कोर्ट ने शादी करवा दिया था , दिलीप के सारे अरमान धरे के धरे रह गए थे, उसने कभी सोचा था की बेटी की शादी धूम धाम से करेंगे ,*"!!
बेटी के जाते ही बहन और उसकी मामी भी चले गए थे , !!
दूसरे दिन सुबह सभी कोर्ट पहुंच गए थे ,स्नेहा और दिलीप का डाइवोर्स हो गया उस दिन पहली बार स्नेहा ने दिलीप के पैर छूकर कहा मुझे माफ कर देना मैने तुम्हे बहुत दुख दिया ,पर मैं क्या करती मैं अपने नेचर को बदल नही पाई ,अब बुढ़ापा तो कम से कम चैन से बिताए, दिलीप फूट फूट कर रो पड़ा ,स्नेहा की भी आंखो मे आंसू निकल पर वह दिलीप की ओर देख कर निकल गई , उसने अपना सामान तो पहले ही शिफ्ट कर लिया था, **!!

एक हफ्ते बाद दिलीप और राधिका मनाली हनीमून मनाने जा रहे थे, तीस वर्षो के बाद ही सही पर उनका प्यार फिर से जवान हो गया था ,*"!!

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Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

14 मई 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

14 मई 2022

जी धन्यवाद

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