रोमनाथ को एक दिन अपने रिक्से की सीत पर एक नोटों से भरा बंडल मिलता है। जिसे वह थाने में जमा करवा देता है। पर उसके बाद उस पर जी खयानतदारी का इल्जाम लग जाया है।
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नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी प्रथम क़िश्त )रात के दस बज चुके थे । रोमनाथ एक सवारी को पुलगांव में उनके घर छोड़कर बैगा पारा स्थितअपने घर लौट रहा था । जैसे ही वह गंजपारा चौक पहुंचा सड़क किनारे खड़े एक श्
नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी दूसरी क़िश्त )इंन्सपेक्टर गौतम से यह सुनकर मोहन नगर थाने का इंचार्ज आश्चर्य चकित रह गया । उसने तीनों सिपाहियों से इस बात की तसदीक करना चाहा । तो उसका संपर्क सिर्फ़ उदयभा
नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी अंतिम क़िश्त) उमरे इंसपेक्टर के पास सिर्फ़ कृष्णा सिपाही के बयान के अलावा ऐसा कोई और सबूत नहीं था। जिससे सिद्ध किया जा सके कि सारा पैसा कोतवाली थाने में जमा क