नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी दूसरी क़िश्त )
इंन्सपेक्टर गौतम से यह सुनकर मोहन नगर थाने का इंचार्ज आश्चर्य चकित रह गया । उसने तीनों सिपाहियों से इस बात की तसदीक करना चाहा । तो उसका संपर्क सिर्फ़ उदयभान और गणेश से हो पाया । उन दोनों ने साफ़ कह दिया कि ऐसी कोई बात कल नहीं हुई है ।
फोन को रखते ही मोहननगर थाना का इंचार्ज उमरे एकदम गुस्से में तमतमाते हुए रोमनाथ को चार झापड़ जड़ दिया। इंस्पेटर इतने गुस्से में था कि उसने तुरंत ही 2 सिपाहियों को रोमनाथ के घर वहां की तलाशी लेने के लिए कहा । रोमनाथ के घर की तलाशी में कोई पैकेट नहीं मिला ।
जैसे ही उमरे इंस्पेटर को सिपाहियों द्वारा पता चला कि रोमनाथ के घर में कोई पैकेट नहीं मिला । यह सुनते ही उमरे इंस्पेक्टर आगबबूला हो गया और कहने लगा , इस रिक्शे वाले को अंदर करो और इसके विरुद्ध लूट का मामला दर्ज़ करो। ये सुनते ही रोमनाथ के आंखों में आंसू आ गये और वह हाथ जोड़कर कहने लगा इंस्पेक्टर साहब मैं सच कह रहा हूं कि कल रात्रि को ही मैंने उस पैकेट को कोतवाली में जमा करा दिया था । मेरे विरुद्ध केस न बनाओ साहब । मेरी पत्नी बहुत बीमार है। वह बिना देखभाल के बेमौत मर जाएगी । रोमनाथको लाक-अप में डाल दिया । उसके रिक्शे को भी थाने में जब्त करके रख लिया गया।
बाहर बैठे जब दोनों कुत्तों को लगा कि रोमनाथ थाने से बाहर नहीं आ रहा है । तो वे दोनों बैगापारा स्थित रोमनाथ के घर चले गए और वहीं घर के दरवाज़े के पास बैठ गए। उधर रोमनाथ की पत्नी जो बुखार से पीड़ित घर में अकेले थी , जब उसे भूख लगी तो वह बिस्तर से उतरकर रसोई की ओर बढी तो दो कदम चलने के बाद उसे इतनी ज़ोरदार चक्कर का एहसास हुआ वह धड़ाम से नीचे गिर गई । उसके गिरने की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि उसे सुनकर बाहर बैठे दोनों कुत्ते अंदर आए और जब उन्होंने देखा कि उन्के दोस्त की पत्नी ज़मीन पर बेसुध पड़ी है , तो वे दोनों बाहर आकर मुंह उठाकर ज़ोर ज़ोर से भूंकने लगे । वे जब लगतार 15 मिन्टों तक भूंकते रहे तो पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग गुप्ता जी को ऐसा लगा कि कुछ तो खास बात है, जो ये दोनों कुत्ते लगातार भूंक रहे हैं । अत: वे अपने दो जवान बच्चों के साथ रोमनाथ के घर के अंदर गए तो देखा कि रोमनाथ की पत्नी ज़मीन पर बेहोश पड़ी है । उन्होंने अपने बेटों की सहायता से रोमनाथ की पत्नी को सेक्टर 9 हास्पिटल मेँ अपना पैसा लगाकर भर्ती करवा दिया। । वहां के चिकित्सकों ने बताया कि इसे डेंगू हुआ है,जो इसके दिमाग पर भी असर डालने लगा है । अगर इसकी क़िस्मत अच्छी रही तो बच जाएगी। इस तरह गुप्ता जी कमला बाई को अस्पताल में भर्ती कराकर घर आ गए।
उधर दस दिनों बाद जब सिपाही कृष्णा ठाकुर दुर्ग आया , तो उसे पता चला कि रिक्शा चालक रोमनाथ को 6 लाख की डकैती के अपराध में आरोपित करके ज़ेल में बंद कर दिया गया है । यह जान कर वह बहुत दुखी हुआ और उसका मन गुस्से से भर गया ।
वह तुरंत ही मोहन नगर थाना के इंस्पेक्टर उमरे से मिला और बताया कि आपने एक इमानदार गरीब व्यक्ति के विरुद्ध डकैती का अपराध कायम करके उसे ज़ेल में डाल दिया है । जबकि उसने पैसों से भरे पैकेट को उसी रात कोतवाली थाने में ज़मा कर दिया था । उस पैकेट में 6 लाख रुपिए थे । जिसमें से इंस्पेक्टर गौतम ने 3 लाख ख़ुद रखकर हम तीन सिपाहियों को एक एक लाख रुपिए दे दिया था । मैं गौतम इंस्पेक्टर के इस कृत्य के विरोध में था पर कुछ बोल नही पाया । इसके अलावा मैंने मुझे दी गई रकम को घर नहीं ले गया बल्कि थाने के ही अपने लाकर में सुरक्षित रख दिया हूं । मैंने सोचा था कि एक दो दिनों में गौतक इंस्पेक्तर इस गलत काम को बड़े अधिकारियों को बताऊंगा । पर अगले दिन ही माता जी की मृत्यू का समाचार मिला तो तुरंत ही अपने गांव चला गया । वहां सिग्नल नहीं मिलने के कारण किसी से मोबाइल पर बात भी नहीं कर सका।
इंस्पेक्टर उमरे ने कृष्णा ठाकुर की बातें सुनी तो वह भी चिन्तित हो गया । मामला उलझते ही जा रहा था । साथ ही उसे यह ख़बर भी मिल गई थी कि उस रिक्शे वाले की पत्नी मरनासन्न स्थिति में भिलाई हास्पिटल में भर्ती है । उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे सच की राह पकड़ी जाए, और कैसे रोमनाथ को न्याय दिलाई जाए। साथ ही उस राहगीर को उसका गुम हुआ पैसा दिलाई जाए , जो रोज़ उसके पास आकर रोता है कि इंन्सपेक्टर साहब अगर मेरा पैसा नहीं मिला तो मेरी बेटी की शादी टल जाएगी ।
( क्रमशः)