प्राकृतिक बिपदा तो आते ही रहते है और आगे भी आते ही रहेगा, इस से कैसे निपटा जाय इसके लिए हमे पूरी तयारी के साथ रहना चाहिए I अब यहाँ पे भूकंप में काफी धन-जन का नुकसान हुवा है, जो लोग पे प्रकृति बिपदा के पीड़ित है उनका पुनर्स्थापन भी होना चाहिए I इस पुनर्स्थापन का जिम्मा हमारे शुशील जी के सरकार के है, लेकिन अभी पुनर्स्थापन के नाम पे जो बड़े बड़े बखेड़े कर रहे है उन से तो इन साडी नेताओ के मानसिकता पे ही संदेह होने लगा है I वैसे तो यहाँ के हरामी नेताओ पे कभी बिश्वाश होता भी नहीं है, लेकिन इन प्राकृतिक बिपदा में थोड़ा सा मानवता के नाम पे बिश्वाश होने लगा था की ऐसी स्थिति में तो ये लोग दोगलेपन के खेल नहीं खेलेंगे लेकिन ये लोग तो कुत्ते पूछ जैसे है जो कभी भी सीधा हो ही नहीं सकता I
अब बताइये अगर पीडितो को पुनर्स्थापन करना है तो सारे नेताओ, बुध्जीबीओ, नागरिक समाज और अंतरास्ट्रीय दाताओ इन सब को आपस में को-ओर्डिनटे कर के इन पीडितो को मदत करने में लगना चाहिए न की नयी नौटंकी सुरु करना चाहिए राष्ट्रीय सरकार और संबिधान नाम पर I पीडितो को मदत के लिए राष्ट्रीय सरकार का क्या जरुरत है ? क्या दुनिया के और देश में इस तरह के बिप्पत नहीं आता है? भारत, चीन, जापान और पाकिस्तान में तो हमेशा इस तरह के बिप्पत आते रहते है तो क्या वहा के प्रतिपक्ष सत्ता पक्ष से मिल जाते है और राष्ट्रीय सरकार बना लेते है? नहीं बनाते है, लेकिन सारे राजनितिक दलों एक दूसरे का साथ देते है इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए I
यहाँ के हरामी नेताओ को देखिये की तरह से आतंरिक लड़ाई सुरु कराने के चाकर में लगे है I तराई - मधेश अभी चुप-चाप भूकंप पीडितो को मदत में जी जान से जुटे हुवे थे लेकिन यहाँ के पहाड़ी शासक वर्ग को यह देखा नहीं गया और सुरु हो गए राजनैतिक पाखंड का खेल खेलने I जो माओवादी के अध्यक्ष प्रचंड कल तक के.पि. ओली को मानसिक संतुलन खोया हुवा ब्यक्ति का उपमा दिया था आज उसके पाँव पकड़ने पे तुले है किसी तरह राष्ट्रीय सरकार बनाये और उनको सरकार में शामिल कर लिया जाय I ताकि भूकंप के नाम पे आये हुवे फण्ड को लूटा जा सके I इस लिए कभी ६ तो कभी ८ प्रदेश को लेकर भासन करते फिर रहे है I अभी मधेश सांत है तो इनके इमोशन से खेलने के कोसिस कर रहे है I अभी भी वक्त है हरामियो सुधर जाओ वरना यहाँ के जनता के नज़र में तो गिर ही चुके हो तुम लोगो को अंतररस्तरीय भीख भी नहीं मिलेगा I