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नेताजी

19 सितम्बर 2015

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भारत देश का दुर्भाग्य देखिये की यहाँ के कर्ता धर्ता ने अपनों के साथ भी गद्दारी की और पद लोलुपता के कारन अपने नायक को बेच दिया। प्रसंग है नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जिनके बारे में सदेव जनता को गुमराह करते हुए सरकार ने बताया की उनकी मौत एरोप्लेन दुर्घटना में हो गयी थी पर ताज़ा जानकारी के अनुसार स्वतंत्र भारत की सरकार उनका और उनके परिवार की जासूसी कराती रही।   ये बात दीगर है की हो सकता हो की उस समय परिस्थितया ऐसी हो कि मित्र रास्ट्रो की द्वतीय विश्व युद्ध में  विजय के उपरान्त बोस का पलायित हो जाना जरुरी हो पर इसका मतलब ये तो नहीं की उस घटना के ७० वर्ष बाद भी उस तथ्य को अपनी जनता से छुपाया जाये तथा हर मोर्चे पर उनकी मौत को भुनाया जाये।  बोस का कृतज्ञ राष्ट्र इसकी घोर निंदा करता है।

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मध्यप्रदेश में हुए एक बड़े घोटाले व्यापम के कारण दम्पत्ति डा. आनन्द राय व डा. गौरी राय को जान का खतरा है उक्त दम्पति एक माह में 25 से अधिक सुरक्षा गार्डो को बदल चुका है पर फिर भी इन्हें मौत की आहट बेचैन कर रही है।

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आर.एस.एस.प्रमुख मोहन भागवत द्वारा संघ के पत्र पर लिखे लेख में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करने पर बल दिया गया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है, इससे सरकार पर दबाव बनेगा उन्होने अपने वक्तव्य में कहा है कि वर्तमान स्थिती में जब सामान्य वर्ग की जातिया भी आरक्षण की मांग कर रही है I उस समय यह जरूर

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दुल्हन........ढकी छुपीलाज़ सेदोहरी होती काया मेंवीणा के तारो के समानझंकृत होताअन्तर्मनअल्हादित हैप्रफुल्लित हैपिया मिलन की आस मेंछलकाने कोअपनारूप यौवनऔर;पाने कोप्यारअधिकारजिम्मेदारीएवंदो परिवारों कीइज्ज़त !!

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रात्रि केअंतिम प्रहर मेंहवन कुण्ड सज़् गया हैअग्नि धधक उठी हैसिर्फ;बाकी हैआहुतियों का तपर्णप्रथम आहुतिकलुषित विचारों का तपर्णद्वितीय आहुतिकुत्सित इच्छाओं का तपर्णतृतीय आहुतिअहंकार का तपर्णचतुर्थ आहुतिअवांछित लोभ का तपर्णपंचम आहुतिराग-अनुराग का तपर्णछटी आहुतिदैहिक अज्ञान का तपर्णसातवी आहुतिलोक-परलोक

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एकसूने से दरवाजे परलगी खिड़की में सेझाँकती दो प्यासी आँखेइन्तजार करती हैकिसी आहटकिसी दस्तक कापर;नही आते कोई पद चिन्हनही होती दस्तकऔरनही झंकृत होते वीणा के तारनहीं गूंजती स्वरलहरियानही आती वेनियों की भीनी भीनी सुगन्धदरवाजे के पीछे कीचार दिवारें व एक सूनी छतपर आच्छादितउदासी व निरवता का सायादरवाजा देखत

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लिंगदोह समिति की सिफारिशे दरकिनार........................... इलाहाबाद विश्वविद्यालय व इसके संघटक कालेजो में छात्रसंघ चुनाव का विगुल बज गया है तथा निर्वाचन प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है। कितना खेदजनक है कि पूर्व का आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत

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वह छोकरी

22 सितम्बर 2015
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वह छोकरी..............वह छोकरीआज भी,मेरे सपने में आती हैथोड़ा मुस्कराती हैहौले से लजाती हैकभी हँसाती हैतो कभी रूला करउड़न छू हो जाती हैवह छोकरी आज भी,मेरे सपनों में आती है!कभी रूठती हैतो कभी इठलाती हैकभी अपने स्नेह से मुझेअभिसिंचित कर जाती हैथोड़ा दुलराती हैतो थोड़ा धकियाती हैअपनी सुगन्ध से मुझेसुगन

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