20 सितम्बर 2015
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Dhanywad Bhai साहब
21 सितम्बर 2015
दीपक श्रीवास्तव जी, अत्यंत गर्व का विषय है वृक्षारोपण, एक छोटी सी शुरुआत असंख्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाती है... आभार !
भारत देश का दुर्भाग्य देखिये की यहाँ के कर्ता धर्ता ने अपनों के साथ भी गद्दारी की और पद लोलुपता के कारन अपने नायक को बेच दिया। प्रसंग है नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जिनके बारे में सदेव जनता को गुमराह करते हुए सरकार ने बताया की उनकी मौत एरोप्लेन दुर्घटना में हो गयी थी पर ताज़ा जानकारी के अनुसार स्वतंत
देश का दुर्भाग्य देखिए सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्ति की उम्र की कोई सीमा नही चाहे वह राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री हो, मंत्रीमण्डल का सदस्य हो या एम.पी. एम.एल.ए. हो या इसके अतिरिक्त अन्य कोई संवैधानिक पद धारित करता हो जिसमें उम्र का बंधन न हो अथवा 65 वर्ष की आयु तक सेवा का लाभ उठा सकता हो पर अंकुश न ल
मध्यप्रदेश में हुए एक बड़े घोटाले व्यापम के कारण दम्पत्ति डा. आनन्द राय व डा. गौरी राय को जान का खतरा है उक्त दम्पति एक माह में 25 से अधिक सुरक्षा गार्डो को बदल चुका है पर फिर भी इन्हें मौत की आहट बेचैन कर रही है।
कभी-कभीलेखनी सो जाती हैऔर;उनीदीआँखों सेझाँकते हैं ख्वाबकथ्य;अभिव्यक्ति कोकुलबुलाते हैंमन मेंपर;खो जाते हैशब्द;अन्ता करण कीतंग कोठरियों में !!
नेपाल भी चला भारत की चाल................ ..................... पूरे विश्व में नेपाल ही एक ऐसा राष्ट्र था जिसे हम गर्व से कह सकते थे कि वह हिन्दुराष्ट्र है, पर विश्व जनमत व अपनी आन्तरिक मजबूरी के तहत उसने हिन्दु राष्ट्र का चोला उतार फेका और धर्मनिरपेक्षता स्वीकार कर समस्त कट्टर हिन्दुओं
गुजरात हाईकोर्ट का आरक्षण पर दिया गया फैसला स्वागतयोग्य ....... गुज़रात हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण पर दिया गया निर्णय स्वागतयोग्य है, क्योंकि अभी तक आरक्षित वर्ग दोहरा लाभ प्राप्त कर रहे थे। एक तरफ तो वह आरक्षण का लाभ ले रहे थे वही दूसरी तरफ सामान्य वर्ग की सीटो का भी बटवारा कर रहे थे। मा। गुज
आर.एस.एस.प्रमुख मोहन भागवत द्वारा संघ के पत्र पर लिखे लेख में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करने पर बल दिया गया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है, इससे सरकार पर दबाव बनेगा उन्होने अपने वक्तव्य में कहा है कि वर्तमान स्थिती में जब सामान्य वर्ग की जातिया भी आरक्षण की मांग कर रही है I उस समय यह जरूर
दुल्हन........ढकी छुपीलाज़ सेदोहरी होती काया मेंवीणा के तारो के समानझंकृत होताअन्तर्मनअल्हादित हैप्रफुल्लित हैपिया मिलन की आस मेंछलकाने कोअपनारूप यौवनऔर;पाने कोप्यारअधिकारजिम्मेदारीएवंदो परिवारों कीइज्ज़त !!
रात्रि केअंतिम प्रहर मेंहवन कुण्ड सज़् गया हैअग्नि धधक उठी हैसिर्फ;बाकी हैआहुतियों का तपर्णप्रथम आहुतिकलुषित विचारों का तपर्णद्वितीय आहुतिकुत्सित इच्छाओं का तपर्णतृतीय आहुतिअहंकार का तपर्णचतुर्थ आहुतिअवांछित लोभ का तपर्णपंचम आहुतिराग-अनुराग का तपर्णछटी आहुतिदैहिक अज्ञान का तपर्णसातवी आहुतिलोक-परलोक
एकसूने से दरवाजे परलगी खिड़की में सेझाँकती दो प्यासी आँखेइन्तजार करती हैकिसी आहटकिसी दस्तक कापर;नही आते कोई पद चिन्हनही होती दस्तकऔरनही झंकृत होते वीणा के तारनहीं गूंजती स्वरलहरियानही आती वेनियों की भीनी भीनी सुगन्धदरवाजे के पीछे कीचार दिवारें व एक सूनी छतपर आच्छादितउदासी व निरवता का सायादरवाजा देखत
लिंगदोह समिति की सिफारिशे दरकिनार........................... इलाहाबाद विश्वविद्यालय व इसके संघटक कालेजो में छात्रसंघ चुनाव का विगुल बज गया है तथा निर्वाचन प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है। कितना खेदजनक है कि पूर्व का आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत
वह छोकरी..............वह छोकरीआज भी,मेरे सपने में आती हैथोड़ा मुस्कराती हैहौले से लजाती हैकभी हँसाती हैतो कभी रूला करउड़न छू हो जाती हैवह छोकरी आज भी,मेरे सपनों में आती है!कभी रूठती हैतो कभी इठलाती हैकभी अपने स्नेह से मुझेअभिसिंचित कर जाती हैथोड़ा दुलराती हैतो थोड़ा धकियाती हैअपनी सुगन्ध से मुझेसुगन