नीलावंती
(भाग 1)
शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी नज़र आ रहा है।
कश्मीर की वादियों के पास में खड़ा वो छोटा सा गांव था जिसका नाम था नीलपुर......
इसी गांव के बाहर छोटे से तालाब के पास में आग जलाकर कुछ बच्चे बैठे थे जो अपने हाथों को गरमा रहे थे।
सर्दियों ने दस्तक दे दी थी। कश्मीर में तो वैसे भी सर्दी ही रहती है लेकिन इस बार सर्दी ने मानो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
आग के पास में बैठा एक मोटा सा गोल मटोल लड़का पॉपकॉन खाते हुए बोला "तुम्हें मालूम भी है नानी ने क्या कहा था?"
उसके सामने बैठी उसकी बहन अवनी बोली "हां हां मालूम है। नानी ने कहा था कि रात को हवेली से बाहर मत निकलना और जंगल की साइड में तो बिल्कुल भी मत जाना। तो......"
मोंटी खड़ा होकर मुंह में पॉपकॉन ठूंसते हुए बोला "तो क्या.... देख ना हम तो बिल्कुल जंगल के पास में बैठे हैं। अगर कोई भूत आ गया तो....."
अपनी दोनों जेबों में हाथ डालकर यश एकटक तालाब के पानी को घूर रहा था। सिर्फ सोलह साल का वो लड़का सच में बहुत ही हैंडसम था।
यश अचानक से उसकी और पलटते हुए बोला "अबे! मोटे गैंडे ये बात मैं तुझे पहले भी समझा चुका हूं कि भूत जैसी कोई चीज़ नहीं होती है लेकिन लगता है कि तुझे मेरी कही गई बात समझ में नहीं आती है।"
मोंटी गुस्से से उसके पास आते हुए बोला "ओह! हेलो यश के बच्चे पहले तो मुझे गैंडा बोलना बंद कर। कितना फीट हूं यार मैं। देख तो सही रोज पांच मिनिट एक्सरसाइज करता हूं मै....."
ये सुनकर अचानक से अवनी की हंसी निकल गई और यश भी फीकी हंसी में हंस पड़ा।
मोंटी उन्हें घूरते हुए बोला "ओह ! हेलो हंसी किस बात की आ रही है?"
यश ना में सिर हिलाते हुए उसकी और बढ़कर बोला "नहीं किसी बात की हंसी नहीं आ रही है लेकिन अगर तुझे ज्यादा डर लग रहा है तो तूं वापिस जा सकता है।"
मोंटी पूरा रौब दिखाते हुए बोला "ओह ! हेलो मुझे किसी से डर नहीं लगता है। मैं यही खड़ा हूं ,, कहीं नहीं जाने वाला।"
यश अवनी के पास में बैठते हुए बोला "देख तेरा भाई कैसे हवा में उछल रहा है? अगर इसे अभी अकेले को जंगल में भेजा जाए तो इसकी सुसु निकल जाए..."
मोंटी उसके पास आते हुए बोला "ओह ! हेलो तूं मेरी क्या चुगली कर रहा है?"
यश खड़ा होते हुए बोला "नहीं नहीं मैं तो तेरी तारीफ़ कर रहा था। मैं तो कह रहा था कि हमारा मोंटी दोस्त कितना बहादुर है। अगर जहां सच में कोई डायन आ जाए तो इसकी ऐसी की तैसी हो जाए।"
मोंटी हंसते हुए बोला "हां.…."
लेकिन अगले ही पल वो गुस्सा होते हुए बोला "ओह ! हेलो क्या.... क्या कहना चाहता है तूं? मैं डरता नहीं हूं किसी डायन से। चाहे किसी भी डायन को मेरे सामने ले आ।"
अवनी यश की और देखते हुए बोली "यश तूने वो नीलावंती की बात सुनी थी......."
यश चिढ़ते हुए बोला "यार ये नीलावंती है कौन? हम कल ही जहां आए हैं और आने के बाद से बस नीलावंती.... नीलावंती..... समझ में नहीं आता है कि ये नीलावंती है कौन?"
मोंटी अपने होठों पर अंगुली रखकर उसे चुप कराते हुए बोला "शी......... चुप हो जा। उसका नाम लेना भी पाप है। नानी ने कहा था कि रात को उसका नाम बिल्कुल भी मत लेना वरना वो सच में आ जाएगी।"
अवनी खड़ी होते हुए बोली "हां यार मेरी मामी भी कह रही थी कि नीलावंती का नाम लेना भी पाप है। कहते हैं कि वो रात को बाहर निकलती है। वो इंसानों का खून पीती है। बहुत ही खतरनाक पिशाचिनी है वो....."
ये सुनकर यश जोर जोर से हंसते हुए बोला "पिशाचिनी वो भी नीलावंती...... अरे ! ये सब फालतू की कहानियां है। मैं इन सब बातों को नहीं मानता हूं। जहां कोई नीलावंती नहीं है।"
मोंटी गुस्से से बोला "अरे! यार सच में नीलावंती है। वो सच में रात को आती है और जो भी उसे नज़र आता है उसे वो पकड़कर खा जाती है। इसीलिए तो रात होने के बाद में कोई भी अपने घर से बाहर नहीं निकलता है।"
यश ऊंची आवाज में बोला "अच्छा अगर नीलावंती सच में है तो वो रहती कहां है? कहां से आती है वो?"
मोंटी धीरे से सर्द आवाज में बोला "अरे ! मैने गांव के लोगों से सुना था कि इस जंगल में एक हवेली है। उसी हवेली में वो रहती है। और ये भी सुना था कि वो हवेली सिर्फ रात को नज़र आती है दिन में कहीं गायब हो जाती है।"
ये सुनकर यश अपना पेट पकड़कर हंसते हुए बोला "ये भी अच्छा मजाक है। एक हवेली जो सिर्फ़ रात को नज़र आती है। हा हा हा हा हा......"
अवनी उसे घूरते हुए बोली "हेलो ज्यादा हंसने की जरूरत नहीं है। ये सच बात है। तेरे ना मानने से सच नहीं बदलने वाला है। चल मोंटी रात होने वाली है हमें वापिस हवेली में जाना होगा वरना नानी हमारी फिक्र करेंगी।"
यश जंगल को घूरते हुए बोला "यार तुम दोनों बहन भाई ना सच में बहुत डरपोक हो जो लोगों की कही सुनाई बातों पर आँखें बंद करके बिलीव कर लेते हो। ये सब लोग बस बच्चे समझकर हमें डरा रहे हैं।"
अवनी उसके पास आते हुए बोली "हमें कोई नहीं डरा रहा है ये सब सच है। वो नीलावंती सच में है। वो रात को जंगल से गांव में आती है और लोगों को मारकर खा जाती है। कहते हैं कि वो जब शिकार करती है तब चार पैरों पर चलती है......"
ये सुनकर यश की फिर से हंसी फुट पड़ी।
मोंटी अवनी का हाथ पकड़ते हुए बोला "चल ना अवनी हम चलते हैं। इसे यहीं खड़े रहने दे। जब नीलावंती इसके सामने आएगी तब देखना ये कैसे अपनी पेंट गीली कर देता है।"
यश गुस्से से उसे अंगुली दिखाते हुए बोला "अबे मोटे गैंडे ये पेंट गीली करने का काम तेरा है मेरा नहीं। मैं किसी नीलावंती से नहीं डरता हूं।"
ये कहकर यश तालाब के पास में आया और जोर से चिल्लाया "अबे ! ओ नीलावंती की बच्ची अगर तुझमें हिम्मत तो मेरे सामने आ। मैं तुझसे नहीं डरता हूं। तेरी ऐसी की तैसी करके रख दूंगा मैं। अगर तूने अपनी मां का दूध पिया है तो मेरे सामने आ। इस यश को मारकर दिखा फिर तो तुझे मानूं मैं....."
अवनी गुस्से से चिल्लाते हुए बोली "यश तूं पागल हो गया है क्या? कैसी कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है। अगर तूं ऐसे चिल्लाएगा तो वो नीलावंती सच में आ जाएगी......"
यश हंसते हुए बोला "अरे ! वो आएगी तो तब ना जब वो सच में होगी। जब वो है ही नहीं तो भला आएगी कहां से। ये सब किताबी बातें है। सच में ये भूत प्रेत ,पिशाचिनी और छलावा जैसी कोई चीज़ नहीं होती है। मैं इन सब फालतू की कहानियों को नहीं मानता हूं।"
मोंटी गुस्से से बोला "मैं तो कहता हूं कि आज सच में नीलावंती तुझे उठाकर ले जाए तब तुझे अपने आप पता चल जाएगा....."
यश उसे जाने का इशारा करते हुए बोला "अबे! गैंडे तूं निकल जहां से। तेरे कहने से नीलावंती नहीं आने वाली। तेरे कहने से क्या वो किसी के कहने से नहीं आने वाली है। जब वो है ही नहीं तो आएगी कहां से......."
ये कहकर यश हंसने लग गया।
"नीलावंती सच में है....." एक और से धमधार आवाज आई और उन तीनों ने जल्दी से पलटकर उस और देखा।
क्या है नीलावंती की सच्चाई??
कौन था उनके पीछे??
जानने के लिए पढ़ते रहिएगा.......!!
अलविदा.....!!