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तो आंखें गीली होती हैं......

28 नवम्बर 2021

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तो आंखें गीली होती हैं.....

कुछ बातें ह्रदय की गहराई को छूती हैं, 
पर उनतक नहीं पहुंच पाती 
तो 
आँखें गीली होती हैं। 

हम जीवन का मुस्कान चाहते हैं, 
वह केवल आक्रोश दिखाता है 
तो 
आंखें गीली होती हैं। 

हम आँखें बिछाए इंतजार करते हैं 
वह बेसमय, बेपरवाह आता है
 तो 
आंखें गीली होती हैं। 

हम दुल्हन बन राह तकते हैं, 
वह बियर में आनंद उठाता है 
तो 
आंखें गीली होती हैं।

हम प्रेम की बातें करते है 
वह ज्ञान की परिभाषा गढ़ता है 
तो
आंखें गीली होती हैं।

हम उनके घर को मेरा बनाने आते हैं
वह अपने घर को मेरा नहीं कहता है
तो
आंखें गीली होती हैं।

हम उनकी नैतिकता को जीना चाहते हैं
वह दुनिया को नैतिकता पढ़ाता रहता है
 तो
आंखें गीली होती हैं।

हम "संगीत" बनकर "संग" रहना चाहते हैं
वह "सीता" बनाकर वनवास देना चाहता है
 तो
आंखें गीली होती हैं।

कुछ बातें ह्रदय की गहराई को छूती हैं, 
पर उनतक नहीं पहुंच पाती 
तो 
आँखें गीली होती हैं। 


सर्वाधिकार सुरक्षित 
डॉ रीता सिंह
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रचनाएँ
मनोभाव - काव्याभ्यक्ति
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यह पुस्तक मेरे मनोभावों की शब्दाभियक्ति है। यह काव्यात्मक प्रस्तुति समर्पित है स्त्री-विमर्श को।

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