बेटियों, सुनो
जन्म किस कोख से लिया है
यह चयन तुम्हारा नहीं है,
हाँ, तुम्हारे कोख से
जन्म ले कैसा शिशु
कर सकती हो निर्धारित तुम
सृजन की शक्ति है सिर्फ तुममें
तुम्हारे कोख के जन्मे यह पूत
खोते जा रहे अपना ही नियंत्रण
होते जा रहे हिंसक,
हिंसक और हिंसक
तो, कुछ दिन रोक दो
तुम यह निरर्थक सृजन
हो जाने दो धरती को
खाली इन हिंसक पुतों से
धरती को हो जाने दो पाक
जब हिंसक पूतों की
यह खेप समाप्त हो जाएगी
तब फिर शुरू करना
एक नया सृजन,
एक नई कहानी