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ओमप्रकाश गुप्ता के बारे में

अवकाश प्राप्त व्याख्याता गणित बी0आई0ओ0पी0सीनियर स्कूल, दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ कविता और लघु लेख लिखने में रुचि। कविता संग्रह " तिनके ,मेरे नीड़ के" प्रकाशित। लघु कथा संग्रह "अतीत की पगडंडियां" प्रकाशित

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पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-19

ओमप्रकाश गुप्ता की पुस्तकें

अनछुए लम्हें,मेरे जीवन दर्शन संग

अनछुए लम्हें,मेरे जीवन दर्शन संग

इस पुस्तक में अधिकांश ऐसे वर्ग के परिवारों की कहानियों का संग्रह है जो समाज की आर्थिक संरचना की दृष्टि में लगभग पेंदे पर है , सामान्य तौर पर लोगों की नज़र इनकी समस्याओं पर न तो पड़ती है और न ही तह तक जाकर समझना चाहती ।देश के कानून के अनुसार किसी वर्

14 पाठक
20 रचनाएँ

निःशुल्क

अनछुए लम्हें,मेरे जीवन दर्शन संग

अनछुए लम्हें,मेरे जीवन दर्शन संग

इस पुस्तक में अधिकांश ऐसे वर्ग के परिवारों की कहानियों का संग्रह है जो समाज की आर्थिक संरचना की दृष्टि में लगभग पेंदे पर है , सामान्य तौर पर लोगों की नज़र इनकी समस्याओं पर न तो पड़ती है और न ही तह तक जाकर समझना चाहती ।देश के कानून के अनुसार किसी वर्

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ओमप्रकाश गुप्ता के लेख

तेज कदमों से बाहर निकलते समय

21 अप्रैल 2024
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हमें जिंदगी में लाना होगा भरोसा जो कदम कदम पर जिंदगी की आहट को उमंगो की तरह पिरो दे, और वह अर्थ खोजना होगा जो मनुष्य को मनुष्य होने की प्रेरणा दे।वह लम्हे चुरा

शकुनि कब तक सफ़ल रहेगा?

23 मार्च 2024
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पता नहीं लोग उजाले को ही क्यों देखते हैं,हमने माना कि ज्ञान सूर्य तुल्य है , शक्ति से परिपूर्ण है , वैभवशाली है और आकर्षक है पर सम्पूर्ण नहीं है । आखिरकार इसक

जेहि जब दिसिभ्रम होइ खगेसा........

19 मार्च 2024
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रेडियो में बड़े ध्यान से बगल की घरैतिन "लक्ष्मी " पुरानी मूवी "मदर इंडिया" का गीत"नगरी नगरी द्वारे द्वारे........" को अपने लय में गाये जा रहीं थीं जैसे लगता मुसीबत की मारी "नर्गिस" का रोल इन्हीं

शहरों से न्यारा मेरा गांव

16 जनवरी 2024
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मनराखन बाबू फर्श पर बिछी चटाई पर बैठे थे और लकड़ी की चौकी पर कांसे की थाली में उनके लिए भोजन परसा जा रहा था। नैसर्गिक और छलहीन प्रेम और बड़े सम्मान के स

दुखड़ा किससे कहूं?

6 जनवरी 2024
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पता नहीं क्यों,आज दिन ढलते ही गर्मी से निजात पाने "अनुभव"अपने हवेली की खुली छत पर खुली हवा में सांस लेते हुए अपनी दोनों आंखें फाड़े हुए नीले व्योम के विस्तार को भरपूरता से देख रह

हर घर, अपना अर्थ ढूंढ रहा है

19 दिसम्बर 2023
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भारतीय परिवेश में 'घर' एक समूह से जुड़ा हुआ शब्द समझा जाता है जिसमें सभी सदस्य न केवल एक ही रक्त सम्बन्ध से जुड़े होते हैं बल्कि परस्पर उन सभी में उचित आदर,संवेदन, लिहाज़ और सहनश

सोच, व्यव्स्था बदलाव की

26 नवम्बर 2023
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लगभग वर्ष 1973 की बात है,मेरी आयु भी 17 वर्ष के आस पास थी;अपने निवास स्थान से थोड़ी दूर स्थित बृजेन्द्र स्वरूप पार्क में सुबह शाम टहलना हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा हुआ करता था।यह एक ऐसा सा

आत्ममुग्धता, वातायन की

23 नवम्बर 2023
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मैंने न जाने कितने तुम्हारे छुपे हुए दीवानापन, बेगानापन, अल्हड़पन और छिछोरापन के अनेकों रूप देखें हैं।मेरी आड़ में सामने निधडक खड़े,बैठे,सोये,अपने धुन में मस्त दूसरो

कर्ण,अब भी बेवश है

8 नवम्बर 2023
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चाहे काली रात हो,या देदीप्यमान सूर्य से दमकता दिन। घनघोर जंगल में मूसलाधार बरसात जिसके बीच अनजान मंजिल का रास्ता घने कुहरे से पटा हुआ जिस पर पांच कदम आगे बढ़ाने पर भ

एक किता कफ़न

31 अक्टूबर 2023
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आखिर उस समय उन्होंने अस्पताल में एडमिट मां के बेड के सामने, जो खुद अपने बिमारी से परेशान है , इस तरह की बातें क्यों की?इसके क्या अर्

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए