हमें जिंदगी में लाना होगा भरोसा जो कदम कदम पर जिंदगी की आहट को उमंगो की तरह पिरो दे, और वह अर्थ खोजना होगा जो मनुष्य को मनुष्य होने की प्रेरणा दे।वह लम्हे चुराने होगें जो उन संवेदनाओं को दे जिससे हम जिंदगी में बडी से बडी जंग जीती जा सके। चलते समय सडक पर वह कोना ढूंढना होगा जो चाय की प्यालियों के साथ कोई खूबसूरत सी कविता की पंक्ति रच दे।
दरवाजे को देनी होगी वह थाप,जो हर इक टकटकी को सुबह के मिलने पर आत्मसात कर ले।वे पौधे उगाने होंगें, जिनकी टहनियाॅ दोपहर के छनती धूप की ताप को कम करने की सामर्थ्य हो।
तेज कदमों से बाहर निकलते समय एक बार उन दीवारों को पलट कर देखना होगा,जिनसे "चलता हूँ " बोलने की आदत छूट गई है। वही पुराना इंतजार कायम करना होगा जो लौट न आने तक मुँह हटायें चिपका रहता था और दरवाजे,छत,पंखा और दीवाल घडी से घंटे बीतने की आहट आती थी।
थोडी देर थम कर सोचना होगा कि उन सारी भूलों के लिए एक बार साॅरी बोलने से वे दीवारें यकीनन माफ कर देंगी ।खुद को जिंदगी को सच्चे अर्थों के लिये उन निश्छल प्रेम को इस भरोसे के साथ कि केवल इसके स्पर्श से जीवन में संजीवन लाया जा सकता है।