मैंने न जाने कितने तुम्हारे छुपे हुए दीवानापन, बेगानापन, अल्हड़पन और छिछोरापन के अनेकों रूप देखें हैं।मेरी आड़ में सामने निधडक खड़े,बैठे,सोये,अपने धुन में मस्त दूसरों के अंजानेपन का फायदा उठाकर तुम्हारे अंदर छिपी शरारती नज़रों को देखा है। छुप छुप कर बातें सुनते और दूसरों पर कंकड़ उछालते देखा है तुम लोगों के जीवन के हर पहलू से जुडकर यह अपने अस्तित्व का अहसास करवाना चाहती हूं कि तुमने न जाने कितनी बार मेरी आड़ लेकर कितना लड़कपन किया है।पर मैंने ये राज किसी को नहीं बताया इससे तुम्हारे नज़र में अपनी गरिमा बनाये रखी है और तुम्हारा आत्मसम्मान बचाया है ।
हमारे एक फुट के लम्बे चौड़े मुखड़े से ,जिसमें शायद एक फुट की लम्बी लोहे की तीन पतली सरिया लगी होंगी, कभी लोहे की लम्बी लम्बी ये छड़ें सहायक तो कभी बाधक हुई होंगी, पर इनसे झांक झांक कर अपने में कौतूहल पैदा किया होगा। तुम्हें पता हो या न हो,पर कई गहरे राज मेरे इस छोटे से चेहरे ने जाने हैं,मेरे इस मुखौटे से अंतरिक्ष की आंखों ने तुम्हें भरपूर देखा है,समझा है, इधर से गुज़रती हुई हवाओं ने तुम्हें बहकते हुए देखा है,जब लकड़ी के बने खुले चौखटों से तेंदू पत्ते से बने बीड़ी को सुलगाकर तुमने सुट्टे से धुएं का छल्ला छोड़ा था।मेरे सामने चल रहे प्रेमी युगलों के रोमांस के देशी तरीकों को समझने के लिए ,मेरे कोने की आड़ लिया है ,बनावटी या नैसर्गिक प्रेम के दोनों पहलुओं पर छिछलापन या गहराई के अर्थ को वासना और समर्पण के कोण से समझने की कोशिश की है। तुम्हें याद हो या न हो पर आज कितनी सफलता या असफलता,सपाट या टेढ़ी मेढी राहों पर चलकर जाने कितनी आशाओं और निराशाओं के बाद तुम जिस मुकाम पर खड़े हो, उसमें मेरी भूमिका कम नहीं है।
मेरे झरोखे के ऊपर बने लम्बे जीर्ण शीर्ण लकड़ी के टूटे हुए भाग का उपयोग करते हुए चिड़ियों के जोड़े ने तिनके से जो घोंसला बनाया,काले चोंच के चिरौटे ने चीं चीं करते हुए गहुंए रंग की चोंच वाले चिड़ी का सहयोग कर घरौंदे को खुशहाल बनाया, शायद तुमको याद होगा,तुमने और तुम्हारे भाई ने चावल के दानों को उनके समीप छोड़ा था,और मैंने तुम दोनों को कुछ दूर चुपचाप टकटकी लगाए देखा भी है,शायद यह जानने के लिए वे दोनों नर और मादा चिड़े कैसे अपने बच्चों को चावल के कठोर दानें खिलाते,इस रहस्य को बचपनी कौतूहल से अपनी मां से यह जाना कि उन दानों को अपने कठोर चोंच ,पर अंदर से नम और रसीले विशेष द्रव से मुलायम कर लेते हैं ,और दोनों ने अपने चोंच से उन कोमल दानों को नीड़ में पड़े बच्चों को खिलाते देखा है ,उन लोगों को दाना चुगाते हुए मैंने अवलोकन किया कि वे कई बार चौखट से बाहर और अंदर आते क्यों हैं,शायद वे संभावित खतरे सेखुद और अपने नवजात शिशुओं को सावधान किया करते हैं पर कुछ भी हो ,उन्होंने अपना ही नहीं मेरे चौखटे को रोशन करते हुए तुम्हारे घर को भी अपने खुशियों की चहचहाहट से भर दिया ,जीवन में खुशियों का अर्थ , तरीकों को सिलसिलेवार तरीके से समझाया भी। उस जोड़े ने आफत के उस झंझावात को भी झेला है जब घर में पली हुई बिल्ली ने उनके घोंसले को न केवल तहस नहस किया बल्कि अंडे बच्चों को अपने कालरूपी पंजे में लिया,कभी मेरे चौखट से गुजरती तेज हवा के झोंकों की वजह से घरौंदे से चिड़े के बच्चे फर्श पर गिर गये और छोटी-छोटी चींटियों ने उसके शरीर पर जब चिपकाने लगे तब उसके मुंह में दूध की कुछ बूंदें डालते हुए, कपड़े के छोटे कपड़े पर लिटाते हुए, उसके तड़पन पर आंसू बहाते हुए तुम्हारे उस बाल स्वभाव सहानुभूति भी देखा है।
मैंने अपने चौखट से अपने मन पर उभरते दृश्य, पर वास्तव में दबी हुई भावनाओं की तलहटी से तुम्हारी ही नहीं, बल्कि तुमसे जुड़े परिवार के अन्य सदस्यों के भाव भंगिमाओं को आत्मसात किया है।