गुम हो रहा है।घर की मुंडेर में रखे छप्पर और परछती ओरौती बनकर अब चूती नही।गाँव के बड़े बगीचों में आम, निमोरी, जामुन, महुआ, सबका चूना बंद सा हैं।दो बैलो की जोड़ी, कुसी, हल धोती वाले किसानों के झुंड नही।गाँवो के चारो ओर फैले तालाब, कुआँ, नहरें अब लोगों ने पूर लिया।कोसों दू