पर्यावरण पर तो चर्चा हुई लेकिन काली धूल से कैसेनिपटे?राजधानी रायपुर के लिये शनिवार को यह खुशी कामौका था जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय से नवा रायपुर स्थितनंदनवन जंगलसफारी एवं जू में वन्य प्राणियों के लिए नवनिर्मित 7 बाड़ों का ई-लोकार्पणकिया: नंदनवन जंगल सफारी के नवनिर्मित सात बाड़ों
गुम हो रहा है।घर की मुंडेर में रखे छप्पर और परछती ओरौती बनकर अब चूती नही।गाँव के बड़े बगीचों में आम, निमोरी, जामुन, महुआ, सबका चूना बंद सा हैं।दो बैलो की जोड़ी, कुसी, हल धोती वाले किसानों के झुंड नही।गाँवो के चारो ओर फैले तालाब, कुआँ, नहरें अब लोगों ने पूर लिया।कोसों दू
गेहूँ की पकी फसल में गिरती चाँद की रोशनी एकदम साफ थी। हवा के बहने से गेंहूँ की बालियां आपस मे रगड़ कर बज रही थी। घर बहुत दूर छूट गया था। रास्ता लंबा था। अनगिनत खेत पार कर चुके थे। हाथ मे लटकती लालटेन में जल रही बाती भभक कर तेज हो जाती तो कही बिल्कुल डिम हो जाती। दूसरे हाथ मे नीम के पेड़ की पतली छड़ी को
इरादे मजबूत कर लो।उनकी गली से नही गुज़रते, उस गली में हमेशा कांटे बिछे रहते है।लोगों का कहना माना और उस गली से निकलने से बचते रहे। एक दिन उसकी याद खींच ही ले गई काँटो वाली गली मे । गली में घुसते ही पैर में कांटा चुभा, चुभते ही फूल बन गया। दूसरे कदम में काँटा लगा वह भी फूल बन गया। मन मे पता नही कहाँ