अतुल्य भारत में भिखारी.. चाँद में दाग की तरह
आत्मसम्मानएक ऐसा शब्दहै जिसकी अनुभूतिकेवल मनुष्य द्वाराही की जासकती है. मनुष्यजन्म भी यदिइच्छाशक्ति के अभावमें भिखारी बनकरव्यतीत कियाजाये तो ईश्वरद्वारा प्रदत्त इस अमूल्यमनुष्य जन्म रूपी उपहारके साथ न्यायनहीं होगा।सोने कीचिड़िया कहलाने वाले इसभारत देश की अर्थव्यवस्थामें पर्यटन उद्योगका महत्वपूर्ण