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अतुल्य भारत में भिखारी.. चाँद में दाग की तरह

28 जनवरी 2016

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आत्मसम्मान एक ऐसा शब्द है जिसकी अनुभूति केवल मनुष्य द्वारा ही की जा सकती है. मनुष्य जन्म भी यदि इच्छाशक्ति के अभाव में भिखारी बनकर व्यतीत  किया जाये तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त इस अमूल्य मनुष्य जन्म रूपी  उपहार के साथ न्याय नहीं होगा।सोने की चिड़िया कहलाने वाले इस भारत देश की  अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान हैं. प्रतिवर्ष देश और विदेश के लांखो पर्यटक अतुल्य भारत की  अतुल्य संस्कृती, खानपान ,रीति -रिवाज़ पहनावे की और आकर्षित होकर इसके साक्षी बनते है। एक और जँहा  सरकार भारत को अतुल्य भारत की संज्ञा देकर महानायक अमिताभ बच्चन जी एंवम प्रियंका चोपड़ा जी से  विश्व में प्रचार करवा रही है वंही दूसरी और जब पर्यटकों का भारत देश के  विभिन्न शहरो के चौराहों पर,संग्रालय के बाहर ,पर्यटन स्थल के बाहर ,बाजार में ,किलों के बाहर ,एंवम यत्र -तत्र भिखारियों से अनचाहा मिलन एंवम एक पक्षीय वार्तालाप होता है उस समय पर्यटक स्वंय के मानस पटल पर भारत की  कौनसी तस्वीर अंकित करते  होंगे यह विचारणीय है। भारत  भ्रमण की और पर्यटकों का आकर्षण बरक़रार रखने के लिए  सरकार को नन्हा कदम बढ़ने की आवश्यकता है:


सरकार  को पंचायत स्तर पर  भिखारियों का आंकड़ा संग्रह बनाकर उन्हें दो तरीके से वगीकृत करना चाहिए-----

वास्तविक भिखारी------   जिनके शरीर से कमाया नहीं जा सकता हैं

फ़र्ज़ी भिखारी-----      जिनका शरीर तो स्वस्थ है पर इच्छा शक्ति के अभाव में अर्थोपार्जन करना नहीं चाहते हैं.और जासूसी एंवम मादक वस्तुओं के कारोबार में कभी कभी लिप्त होते हैं 

सरकार द्वारा  उठाये जाने योग्य योग्य कदम :

भिखारी की  पहचान चिकित्सको की प्रमाणित समूह से करवा कर पता करना चाहिए कि भिखारी अर्थोपार्जन के लिए शारीरिक स्वस्थ भी हैं या नहीं

यदि भिखारी फ़र्ज़ी हैं(शरीर जीविकोपार्जन योग्य हैं ) तो पंचायत स्तर पर परामर्श  केंद्र स्थापित कर  भिखारियों से से निम्न बिन्दुओ पर परामर्श करनी  चाहिए :

  • व्यक्ति ने भिखारी बन जीवन निर्वहन का रास्ता क्यों चुना?
  • भिखारी के अंदर क्या गुण एंवम हुनर हैं?उनके लिए कौशल विकास सेंटर पर रोजगार परक हुनर विकसित करने की व्यवस्था होनी चाहिए
  • भिखारी किस प्रकार के  कार्य में निपुण हैं एंवम उस तरीके का कार्य कर अर्थोपार्जन के लिए प्रेरित करना चाहिये
  • उसके बाद भी वह भिक्षा माँग कर जीवन व्यतीत करता है तो  भिखारियों के  के लिए कानून  बनाकर सजा का प्रावधान करना चाहिए अन्यथा इस  प्रकार  के   भिखारी वर्ग अवैध गतिविधियों से भारत को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं

 

वंही वास्तविक  भिखारी के पुनर्वास की व्यवस्था सरकारी एंवम स्वयं सहायता समूह समूह के माध्यम से होनी चाहिए जिससे ये भिखारी  बस एंवम रेलवे स्टेशन,देश के  पर्यटन स्थलों  की शोभा  में दाग लगाये  बल्कि अतुल्य भारत को अतुल्य बरक़रार रखने में अपना योगदान दे जिससे भारत की और पर्यटको का आने को बार बार मन करे.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत अच्छा लेख ! सार्थक एवं सटीक ! 'शब्दनगरी' पर प्रथम लेख प्रकाशन हेतु बहुत-बहुत बधाई !

29 जनवरी 2016

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