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अप्रैल डायरी...

1 अप्रैल 2022

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अप्रैल.... 1......शुक्रवार.....

एक अप्रैल यानि फूल़ डे..... मुर्ख दिवस....। 
कहने और सुनने में बहुत अजीब लगता हैं की ऐसा भी कोई दिन हम मनाते हैं....। देखा जाए तो यह दिन मूल रूप से पश्चिम देश की विरासत हैं...। बहुत से बुद्धिजीवी इस बात का खंडन करते हैं की हमें पश्चिमी देशों के ऐसे किसी भी त्यौहार या खास दिन को नहीं मनाना चाहिए...। वो लोग शायद अपनी जगह सही भी होंगे..। उनके अपने तर्क वितर्क होंगे..। लेकिन मैं सिर्फ इतना कहना चाहतीं हूँ की अगर थोड़ी सी मस्ती मजाक से किसी के चेहरे पर खुशी आ जाती हैं तो गलत क्या हैं...। 

इस दिन से एक मजेदार किस्सा मैं मेरी प्यारी डायरी को सुनाती हूँ...बात उन दिनों की जब मैं दस ग्यारह साल की रहीं होंगी...। हम घर में तेरह बहनें ( कजि़न) साथ रहतीं थी..। शाम होतें ही हम सभी बहनों का जमावड़ा छत पर होता था...। हर कोई अपनी अपनी बातों में मशगूल रहता था..। मैं सबसे छोटी थी घर में...। हुआ ये की हम सभी एक खेल खेल रहीं थीं... जिसे आज की भाषा में ट्रुथ और डे़र कहा जाता हैं....। हमारी दो टीम बनी हुई थी...। अब अप्रैल का पहला दिन था हम सभी एक दूसरे को बेवकूफ बनाने या अपनी मम्मी, चाची को बेवकूफ बना कर खेल के मजे ले रहें थे...। तभी मेरी एक सिस्टर मेरा नंबर आने पर बोली :- राजपूत अंकल को बेवकूफ बना कर दिखा तो मान जाउँ...। 
राजपूत अंकल....हमारे पड़ौसी.....जिनके चेहरे पर कभी मुस्कान भी नहीं आतीं थीं...। वो पुलिस वाले थे...। गठीला बदन... लंबा चौड़ा कद.... चेहरे पर लंबी मूंछे.. आंखें हमेशा लाल....एक नजर देखते ही डर लगे....। किसी भी शख्स में हिम्मत नहीं होतीं थी कि उनसे कभी एक लब्ज़ बात भी कर ले...। लेकिन मैं भी थीं तो जिद्दी.... ठान लिया की चाहें जो भी हो आज तो ये करके दिखाना हैं...। बस फिर क्या था... इंतज़ार होने लगा उनकी पुलिस जीप का हमारी गली में आने का....। दरअसल हमारी गली से होकर ही मेन सड़क पर जाने का रास्ता होता था... और शाम के वक्त वो ड्यूटी से वापस हर रोज़ हमारी गली से होकर निकलते थे...।कुछ मिनटों बाद ही वो आए अपनी जीप लेकर.... मैं तैयार खड़ी थी.. जैसे ही वो मेरे करीब आने वाले थे.... मैं जोर जोर से चिल्लाई.... अंकल आपकी जीप का टायर पंचर हो गया है.... अंकल टायर पंचर हो गया है...। 
उन्होंने अचानक से ब्रेक लगाई.... जीप रोकी और उतरे.... टायर देखने के लिए.... वो चंद सैकिंड मेरे लिए सबसे डरावने सैकिंड थें..। वो चारों टायर देख कर बोले:- ए छोरी.... क्यां छे पंचर...! 
मैं मुस्कुरा कर बोली :- अंकल अप्रैल फूल़ बनाया...। मैं तालियां बजाकर उछल रहीं थी...। वो कुछ पल खामोश खड़े मुझे देखते रहे फिर मेरे करीब आए...। मेरे होंठो से हंसीं घुम हो गई...। मुझे लगा वो घर पर शिकायत करने आ रहें हैं...। पर वो करीब आए और पहली बार उनके चेहरे पर मुस्कान आई...। वो मुस्कुराए और बोले:- घणी हिम्मत छे तारैं में छोरी... मणें बेवकूफ बणा डाला..आ ले थारो इणाम....( बहुत हिम्मत है तुझमें लड़की.... मुझे बेवकूफ बना दिया...ये ले तेरा इनाम ) उन्होंने अपनी पेंट की जेब से उस जमाने की सबसे ज्यादा बिकने वाली औरेंज रंग की खट्टी मिठ्ठी तीन चार गोली मुझे निकाल कर दी और मेरे सिर पर हाथ फेरकर कहा हैप्पीफू़ल डे....और मुस्कुरा कर अपनी जीप लेकर वहाँ से चले गए....। मैने बचपन में बहुत लोगों के साथ ये दिन ऐसे मस्ती मजाक में बिताया हैं लेकिन ये पल ये लम्हें मेरे लिए आज भी सबसे ज्यादा यादगार लम्हों में से हैं....। 

ये तो हैं इसे मनाने का अंदाज.....अब जानते हैं कारण....। 
... एक कहानी ये हैं की फ्रांस में 1582 में पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया था.... इसके बावजूद कुछ लोग पुराने कैलेंडर के मुताबिक ही नया साल मनाते जा रहें थे . ... इसलिए उन्हें अप्रैल फूल्स कहा जाने लगा....। 
कहानियों से अलग जहां तथ्यों की बात आती हैं तो ऐसा कहा जाता हैं की 1700 में अमेरीकी प्रेंक कलाकार का एक समूह जो अपने जोक्स और मस्ती की वजह से बहुत प्रसिद्ध था... उनकी याद में आज का दिन मनाया जाता हैं...। 

वैसे तो मजाक मस्ती करने का कोई दिन कोई ठिकाना नहीं होता... जब मन चाहे कर लेते हैं.... लेकिन आज के दिन मजाक करने पर कोई बुरा नहीं मानता...। जैसे होली पर कोई रंग लगाए तो बुरा नहीं मानता.. वैसे ही.... अप्रैल फूल़ बनाया कहकर हर किसी से मस्ती मजाक कर सकते हैं...। 

मेरा मानना तो सिर्फ ये हैं की आपकी वजह से अगर किसी के चेहरे पर मुस्कान आतीं हैं... कोई कुछ पल के लिए ही सही खुश होता हैं तो इसे मनाने में झिझक कैसी...। 

अप्रैल फूल़ मनाईये और खुशीयां बिखेरिए....। 

कल तक के लिए..... जय श्री राम....। 


भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया 👏👏👌🏻👌🏻👌🏻

8 अप्रैल 2022

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रचनाएँ
अप्रैल डायरी... 📖
5.0
अप्रैल माह में अपने लम्हों को और अहसासों को शब्दों में पिरोकर अपनी डायरी में लिख रहीं हूँ...।

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