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कुछ तो है....

2 जून 2018
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कहते है ,इस जहां में ...कुछ तो है ... तुझसे वास्ता ... क्योंकि ना जाने, क्यों ? तेरे बिना... अधूरा है ,मेरा हर रास्ता...पर मेरे बिना ... अधूरी है... मेरे जन्मदाता की हर कामना...वजह यह जान... नहीं चाहती की कभी ... पूरी हो हमारी ... ये दास्तां ...ये दास्तां ....

साथ लाया है हमें ...

2 जून 2018
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इन हवाओं में महसूस किया है तुम्हें ... मेरे दिल के एहसासों ने छुआ है तुम्हें ... इस चेहेकती बारिश ने बताया है मुझे .. कि मेरे खयालो ने कितना सताया है तुम्हे... आसमां में ठहरे इस सूरज की लालिमा ने ... कहा है मुझे किमेरे इश्क़ का रंग चड़ा है तुम्हे...

एक बूँद की कहानी है...

31 मई 2018
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एक बून्द की कहानी है... एक बून्द की ज़ुबानी है .. इस रामझिम बारिश की हर एक बून्द की बस यही निशानी है ... गिरती है ज़मीन पर तोह एक तड़पती प्यास को बुझाती है... पड़ती है तन पर तोह ... एक ख़ुशी का एहसास जगाती है... केहती है सबसे की बेवजह न दूषित करो मुझे मेरी लीला भी न्यारी ह

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