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2 मई 2024

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रचनाएँ
लालीराम के शब्दपुष्प हार
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शब्द और अपने अपने भावार्थ शब्दपुष्प पिरोकर बनाए हैं पुष्पों के हार, चाहे कांच के टुकड़े समझें या हीरों के हार... इस किताब में ईश्वर भक्ति, देश भक्ति, ईमानदारी जज्बात और उसूल, मोहब्बत, दायित्व, प्रेम, स्नेह, राजनीति, परोपकार, ज्ञान, धर्म इंसानियत कर्म सेवा आदि पर कविताएं लिखी हैं और अपने कुछ विचार भी लिखें हैं... किताब लिखने का उद्देश्य किसी की भी सही भावनाओं को ठेस पहुंचाने का बिल्कुल भी नहीं है ईमानदार व्यक्ति अगर कभी तलाशी की आवश्यकता होती है तो तलाशी देने में घबराते नहीं और तलाशी का बुरा भी नहीं मानते किसी को तलाशी का बुरा लगना भी नहीं चाहिए... लेखक समझें कवि समझें चाहे समझें दीवाना, लालीराम के शब्दपुष्प हार से है दुनिया को महकाना... लालीराम

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