रायगढ़ भूस्खलन
कहते हैं जब प्रकृति जुल्म ढहाती है तो वह किसी को भी नहीं छोड़ती है इसलिए प्रकृति मानव जाति को समय-समय पर संकेत अवश्य देती है कि अगर तुमने मेरे साथ दुश्मनी मोल ली तो तुम मेरे प।रकओप से बच नहीं पाओगे ।।
इस वक्त प्रकृति के सर्वनाश के लिए सबसे जिम्मेदार मुजरिम मनुष्य ही होगा जो प्रकृति के सत्यानाश पर तुला हुआ है।
20 जुलाई 2023 की रात जब सभी लोग गहरी निद्रा में सोए हुए थे। उस वक्त अचानक से प्रकृति ने अपना भयंकर रूप दिखाया और महाराष्ट्र के रायगढ़ में पूरे गांव के ऊपर ऐसा प्रकोप किया कि पूरे गांव को अपने आगोश में ले लिया । जब तक लोगों को भनक लगती तब तक भूस्खलन ने लोगों को अपनी गोद में समा लिया।।
मिट्टी और पत्थरों से बनी हुई एक पहाड़ी जो पूरी की पूरी गांव के ऊपर आ गिरी और लोगों को दबोच लिया वह पहाड़ी एकदम से लोगों की जिंदगियों को छीनने के लिए आई थी। लेकिन जैसे ही इस बात की खबर लगी तो कुछ जिंदगियां जैसे-तैसे बाहर निकल कर आ गई। भूस्खलन से आये हुए मलबे ने सारे के सारे गांव को पूरी तरह दबोच लिया। लोग अपनी जान के बचाने के लिए चीखने चिल्लाने लगे।
कुछ ही देर में लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। NDRF , आर्मी और पुलिस प्रशासन ने वहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। उसके बाबजूद भी वहां पर लगभग 16 लोगों की मौत हो चुकी है।
रेस्क्यू टीम के द्वारा सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है इसके अलावा घायलों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।।
इस भयंकर तबाही के मंजर में कुछ लोगों के आशियाने भी ख़त्म हो गये है और कुछ लोग अपनों को खो चुके हैं।। हम लोग सभी मृत आत्माओं की शान्ति की कामना करते हैं कि प्रकृति उन्हें अपने गर्भ में विलीन होने के लिए स्थान दे और उनके परिजनों को इस परिस्थिति में दुख सहन करने की क्षमता दे।