वह फाग फाग फाल्गुनी
वह झन झन झंकार सी
वह रात सजाती चाँदनी
वह राग राग की रागिनी।।
वह तान तान तरंगिणी
वह सन सन पुरवाई सी
वह स्वप्न जगाती कामिनी
वह राग राग की रागिनी।।
वह जगमग जगमग जुगनी
वह थपकी देती लोरी सी
वह घन घन करती दामिनी
वह राग राग की रागिनी।।
वह कलकल करती एक नदी
वह मस्त मस्त अंगडाई सी
वह संग संग चलती भामिनी
वह राग राग की रागिनी।।
वह हर रंग ईक फुलवारी
वह मग्न मग्न तन्हाई सी
वह रग रग रँगती जामिनी
वह राग राग की रागिनी।।
वह खन खन करती किलकारी
वह जज्बात संवारती बात सी
वह मिठास घोलती चाशनी
वह राग राग की रागिनी।।
✍️राजीव जिया कुमार,
सासाराम,रोहतास,बिहार।।
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