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⚘️हम बहकने लगे।

19 सितम्बर 2022

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कदम दर कदम 
हम बहकने लगे
साँसों में मेरे
तुम महकने लगे,
कदम दर कदम 
हम बहकने लगे।।
खामोशी भी 
सरगम बजाने लगी
तबियत मचल गुनगुनाने लगी
साया तुम्हारा सरसराए आँखों पर
रंगीन तारे राहों में सजने लगे,
कदम दर कदम
हम बहकने लगे।।
तुमसे है सजा
हर लम्हाँ कतरा कतरा
तुम संग न तो
वीरां वीरां है सेहरा
तुम काला जादू 
असर जां पर दिखाते
तुम मस्त खुशबू 
मदहोश किए जाते
सनम तुम हो मानो
बहार लहराए आँखों में
हसीन ख्वाबों में सारे
तुम बसने लगे,
कदम दर कदम 
हम बहकने लगे।।
              ✍️राजीव जिया कुमार 
                सासाराम,रोहतास,बिहार।
  

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