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दास्तां सुनाता है मुझे

8 अगस्त 2016

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जब कभी सपनों में वो बुलाता है मुझे

बीते लम्हों की दास्तां सुनाता है मुझे

 

इंसानी जूनून का एक पैगाम लिए

बंद दरवाजों के पार दिखाता है मुझे

 

नफरत,द्वेष,ईर्ष्या की कोई झलक नहीं

ये कौन सी जहां में ले जाता है मुझे

 

मेरे इख्तयार में क्या-क्या नहीं होता

बिगड़े मुकद्दर की याद दिलाता है मुझे

 

उसको भी मुहब्बत है यकीं है मुझको

उसके मिलने का अंदाज बताता है मुझे

 

रुक-रुक कर आती दरवाजे से दस्तक

ये वहम है या कोई बुलाता है मुझे 


राजीव’ तुम बिन बीता अनगिनत पल

शबे गम में रोज जलाता है मुझे 

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दास्तां सुनाता है मुझे

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जब कभी सपनों में वो बुलाताहै मुझे बीते लम्हों की दास्तांसुनाता है मुझे  इंसानी जूनून का एक पैगामलिए बंद दरवाजों के पार दिखाता हैमुझे  नफरत,द्वेष,ईर्ष्या की कोईझलक नहीं ये कौन सी जहां में ले जाताहै मुझे  मेरे इख्तयार में क्या-क्यानहीं होता बिगड़े मुकद्दर की याददिलाता है मुझे  उसको भी मुहब्बत है यकीं ह

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