लेखन शौक शब्द की मणिका पिरो छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव मेरा परिचय है-
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माँ के चरणों में तीरथ बसे हैं ============================= माँ के चरणों में तीरथ बसे हैं , मन को मंदिर बना कर देखो । काशी काबा ये मथुरा यही है , मन में माँ को बिठा कर देखो । दर भटकने स
द्विगुणित चौपाई चतुष्पदी मुक्तक दिनकर का परिचय अति सुन्दर , भाव प्रवण रचना अलबेली l द्वन्द गीत कुरुक्षेत्र सु दिल्ली , नीलकुसुम कवि श्री अलबेली l घूप छाँह रसवंती वापू ,
आधार छंद प्रदीप गीतिका मात्रा भार १६+१३ =२९ चाल ==चौपाई +दोहा का विषम चरण ] शीर्षक ==भारत की पहचान धर्म सनातन ज्ञान पुरातन ,भारत की पहचान हैं l चार वेद की गौरव गाथा , बोध
कवित्त बाल प्रसंग बाल हनुमान रूप धरि कुहू आयो हैं l मातु पिता दादा दादी देखि हरसायो हैं ll तोतली ये बोल बीच गदा हाथ भायों हैं l मधुर अहसास भरि धूम यूँ मचायो हैं ll बाल मुस्कान लखि अंजना के लाल आज
आधार छन्द – गीतिका मापनी – 2122 2122 2122 212 समांत – आज , पदांत लिखना आ गया २६ मात्रिक सरल मापनी 2122 2122 2122 212 ====================================== गीत माला गीतिका बन आज लिख
श्रावण मास के चतुर्थ सोमवार पर अनंगशेखर चंद्रशेखर दयानिधान भक्त वत्सल सतीपति सोमनाथ महाकाल भीमाशंकर त्रिपुरारि शिवशंभु शशिधर को नमन ----- ==============================
वैदिक लौकिक छ्न्द लिखूँ मै ,वर्षा ग्रीष्म वसंत लिखूँ मै पिंगल छ्न्द विधान महा मै ,छ्न्द शेष अवतार लिखूँ मै शत में जोड़ आठ उपनिषद् , वेद और वेदांग लिखूँ मै शिक्षा कल्प निरूक्त व
माँ भारती के सभी वीर सपूत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शत- शत अभिनन्दन वंदन 77वें स्वतंत्रता दिवस की आप सभी मित्रों को ह्रदय से हार्दिक बधाई एवं अनंत शेष शुभकामनाएं ==========