कवित्त बाल प्रसंग
बाल हनुमान रूप धरि कुहू आयो हैं l
मातु पिता दादा दादी देखि हरसायो हैं ll
तोतली ये बोल बीच गदा हाथ भायों हैं l
मधुर अहसास भरि धूम यूँ मचायो हैं ll
बाल मुस्कान लखि अंजना के लाल आज ,
बाल रूप धरि स्वयं धरती पे आयो हैं ll
भाव के भूखे हरि भक्त मन भायों है l
परिजन प्रमोद बीच मोद मुस्कायो हैं ll
राजकिशोर मिश्र