आधार छन्द – गीतिका
मापनी – 2122 2122 2122 212
समांत – आज , पदांत लिखना आ गया
२६ मात्रिक सरल मापनी 2122 2122 2122 212
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गीत माला गीतिका बन आज लिखना आ गया l
प्रेम मीरा साधिका मन साज़ लिखना आ गया ll
भाव अर्थों मे समाया शब्द यति लय सार बन l
हिंद की पहचान हिन्दी नाज़ लिखना आ गया ll
गीतिका इठला रही है साथ हिन्दी मनचली l
रात काली मेघ भादों राज लिखना आ गया ll
छ्न्द दोहा सोरठा का गीतिका मन जीत कर l
चल पड़ी अपने शहर में गाज लिखना आ गया ll
रूप का शृंगार बेला मञ्जरी चम्पा कली l
चंद्र सरिता कौमुदी बन लाज लिखना आ गया ll
मेघ प्यासे थे गगन के ज्ञान बरसा कर रहे l
चाँद रजनी चंद्र शेखर ताज लिखना आ गया ll
क्वार कार्तिक मास में भी, पौष जाड़ा ठर करे l
. गीतिका यति गति सुचालित आज लिखना आ गया ll
राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी