वैदिक लौकिक छ्न्द लिखूँ मै ,वर्षा ग्रीष्म वसंत लिखूँ मै
पिंगल छ्न्द विधान महा मै ,छ्न्द शेष अवतार लिखूँ मै
शत में जोड़ आठ उपनिषद् , वेद और वेदांग लिखूँ मै
शिक्षा कल्प निरूक्त व्याकरण, ज्योतिष छ्न्द विधान लिखूँ
छ्न्द गेयता अलंकार रस , जीवन का सौंदर्य लिखूँ मै
कबीर ,सूर तुलसी की वाणी, छायावाद सिरमौर कहूँ
पंत , निराला , वर्मा ,प्रसाद युग , चार प्रमुख स्तंभ हुए
उनकी रचना में छ्न्द विविधता , सरस मधुर प्रसंग दिखे
दिग्दर्शन सामाजिक पीड़ा , वह तोड़ती पत्थर देखा
छ्न्दमुक्त रचना में व्यथा का ,सामंतवाद का शोषण देखा
राजकिशोर मिश्र