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काशी काबा

23 सितम्बर 2023

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माँ के चरणों में तीरथ बसे हैं 

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माँ के चरणों में तीरथ बसे हैं ,

मन को मंदिर   बना कर   देखो ।


काशी काबा ये मथुरा यही है ,


मन में माँ को बिठा कर देखो ।

दर भटकने से - कब क्या मिला है,

खोज थकता   हिरन नाभि में है ।

कैसी बावलि है , ये सारी दुनियाँ,

दूर जाकर उसे खोजती है  ।

माँ के चरणों में तीरथ बसे हैं ,

मन को मंदिर बना कर   देखो  ।


राम दिल में बसे , कृष्ण नैना ,

रोशनी में झलक देख लो तुम ।

गंगा जमुना सरस्वती माता ,

खुद में  संगम झलकती माँ आँचल  ।


पहले माँ को हिए   बसा    लो 

सारे तीरथ  खडें हैं यहीं    पर  ।


माँ के चरणों में तीरथ बसे हैं ,

मन को मंदिर   बना कर   देखो ।

राजकिशोर   मिश्र   'राज'   प्रतापगढी

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