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पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-26

RAKESH की पुस्तकें

RAKESH की डायरी

RAKESH की डायरी

आम नागरिक की जीवनी के साथ ही उनके कार्य और दिनचर्या के वो किस्से जिनसे ना केवल अपनी तारीफ बल्कि उन सभी कर्तव्य जो एक आम इंसान में होते हो

निःशुल्क

RAKESH की डायरी

RAKESH की डायरी

आम नागरिक की जीवनी के साथ ही उनके कार्य और दिनचर्या के वो किस्से जिनसे ना केवल अपनी तारीफ बल्कि उन सभी कर्तव्य जो एक आम इंसान में होते हो

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पहचान खो गई अपनों से

पहचान खो गई अपनों से

इस किताब में आम आदमी कैसे और कब अपनों की नज़र में दिखना बंद हो जाता है उसके बारे साथ ही वो कब तक अपनों के साथ रहता है आदि के बारे में लिखा है

2 पाठक
1 रचनाएँ

निःशुल्क

पहचान खो गई अपनों से

पहचान खो गई अपनों से

इस किताब में आम आदमी कैसे और कब अपनों की नज़र में दिखना बंद हो जाता है उसके बारे साथ ही वो कब तक अपनों के साथ रहता है आदि के बारे में लिखा है

2 पाठक
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निःशुल्क

अपनी बिटिया का taj

अपनी बिटिया का taj

अगर आप आए तो अच्छा लगेगा और आपकी व्यवस्था के लिए अलग से चार पाई और पंखे लगाएंगे

निःशुल्क

अपनी बिटिया का taj

अपनी बिटिया का taj

अगर आप आए तो अच्छा लगेगा और आपकी व्यवस्था के लिए अलग से चार पाई और पंखे लगाएंगे

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RAKESH के लेख

बिटिया का ताज

21 मई 2023
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#बिटिया_की_शादी_की_दावत_है_साहब◆🙏                    5 साल से भाग रहा था मैं अपनी बेटी के लिए लड़का तलाशने। रस्ता चलते चाहें जो बता देता मुझे कि उस गांव में है एक लड़का बिटिया के लायक एक बार देख लो

संस्कार वाली साड़ी

26 अप्रैल 2023
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मेरी बहू मेरा अभिमान ❤️*शादी के लिऐ लड़की देखने गई मैंने समधन(लड़की की मां) से कहा, देखिए सुयश मेरा एकलौता बेटा है, जैसा नाम वैसा गुण । जब जब मैं दूसरा बच्चा न होने के लिए उदास होती तो विशाल मेर

अपनी पहचान कही खो न जाए

24 अप्रैल 2023
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●● *सम्मान निधि* ●●************************** =========माँ, तुम भी न ...यह क्या पिताजी की जरा सी 12000 रुपये की पेंशन के लिए इतना माथापच्ची कर रही हो, अरे इससे

बचनप की रेलगाड़ी

22 जनवरी 2023
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राकेश कुमार पंवार चानी  बचपन की रेलगाड़ी        आज विदेशियो की सवारी गाड़ी को राजस्थान ले जाने के लिए कोई ड्राईवर नही मिल रहे थे क्योंकि आधे से ज्यादा छुट्टी पर थे बाकी जो थे वे नई भर्ती मे आने की वजह

एक ख़त पति के नाम

20 जनवरी 2023
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आज सुबह सो के उठी रोज़ की तरह 5:30 am बहुत ठंड थी,रज़ाई से निकलने की हिम्मत नहीं हुई | इनका टिफ़न नाश्‍ता सब बनाना था| गीज़र, मोटर चलाना था, सुबह उठे तो सबको गर्म पानी चाहिए | लेटे-लेटे सोंच रही थी कि क

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