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एक ख़त पति के नाम

20 जनवरी 2023

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आज सुबह सो के उठी रोज़ की तरह 5:30 am बहुत ठंड थी,रज़ाई से निकलने की हिम्मत नहीं हुई | इनका टिफ़न नाश्‍ता सब बनाना था| गीज़र, मोटर चलाना था, सुबह उठे तो सबको गर्म पानी चाहिए | लेटे-लेटे सोंच रही थी कि क्या बना दूं कि जल्दी बन जाये | 6:30 बजे मम्मी पापा को भी चाय चाहिये | फिर 5:45 का दूसरा अलार्म बजा और हड़बड़ा कर उठे| और एक ना खत्म होने वाला दिन शुरू हो गया मम्मी पापा को चाय देकर रवि को उठाया| टिफिन लगाया , नाश्ता रखा, कपड़े निकाले| बस बैठी ही थी रवि की आवाज़ आयी "तनु ,
मेरी ब्लू शर्ट निकालो
आज"| मैंने कहा " वो तो धो दी सूखी नहीं है" |

हस्बैंड- क्या मतलब सूखी नहीं है..? चार दिन पहले दी थी|

मैं - "3 दिन से धूप नहीं निकली " |

हस्बैंड- शुरू बहाने बाजी, मेरे जाने के बाद आराम ही करती होगी मोबाईल पे लग जाओगी और काम क्या
है तुम्हारे पास |

मेरी आँखों में आँसू भर चुके थे|ऐसा लग रहा था कि कोई मालिक अपने नौकर को डांट
रहा हो |
ये भी लग रहा था
मम्मी-पापा भी सुन रहे होंगे| रवि ने गुस्से में. बैग लिया और चले गए| तभी फोन का रिमाइंडर बजा "spark
day" , ये हमारा शुरू
किया हुआ डे है |

हम पहली बार मिले थे आज के दिन | हमारी अरेंज मैरिज है आज के दिन रवि और मैंने एक दूसरे को पहली बार देखा था | आँखें भर आयी मेरी ये सोंच के कि क्या अाज इस
दिन का कोई मतलब रह गया है मेरे लिए ....

मैंने एक कागज़ कागज़
  उठाया और जाने क्या सोंच कर लिखने बैठ गई.......

डियर रवि, अभी अभी याद आया कि आज स्पार्क डे है और तुम्हें तो याद भी
नहीं होगा| मुझे याद है पहली बार में हमने कितनी अच्छे से सेलिब्रेट किया था और सोचा था हमेशा मनायेंगे| तुम्हें याद है जब पहली बार तुम आए थे मुझे देखने, और देखते रह गए थे कुछ पूछा भी नहीं था बस पूछा "आपको मैं पसंद हूँ...?"'| फिर हमारी सगाई हो गई मेरी ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत दिन थे, हम सपने सजाते थे कितने कसमे वादे करते, एक दूसरे का ध्यान रखते| साथ ना होकर भी साथ थे हम|फिर हमारी शादी हुई उस रात तुमने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोला था "तुमने हमेशा मेरा साथ दोगे कभी मेरे माँ पापा की कमी नहीं मह्सूस होने दोगे"|मुझे लगा था अब कुछ और नहीं चाहिए ज़िन्दगी
से...  लेकिन जब जब मुझे अपने पति की ज़रूरत पड़ी तुम नहीं थे| मैंने अपने पहनावे से लेकर सर नेम बदला | अपनी दिनचर्या से लेकर ज़रूरतें बदली ं| अपने सपने से लेकर रिश्ते बदले| लेकिन तुम, जब मेरे पापा की तबियत खराब थी, तुम्हारे भाई की शादी थी, मैं नहीं जा पायी|जब मेरे माँ पापा की शादी की सालगिरह थी,तुम्हारी माँ को बुख़ार था मैं नहीं गई| जब मैं जॉब करना चाहती थी, तुम्हें बच्चे की जल्दी थी अब मैं अपना बच्चा
नहीं छोड़ सकती तो तुम मुझे आराम करने का ताना देते हो| तुम्हारे पास तुम्हारे माँ पापा, भाई परिवार है मेरे पास तो सिर्फ तुम हो| तुम्‍हारे पास तुम्हारी जॉब, दोस्त, आज़ादी,सब है| मेरे पास तो सिर्फ तुम हो जिसे शायद मेरी ज़रूरत
ही नहीं| मुझे कभी ऐसी ज़िन्दगी नहीं चाहिये थी क्या तुम्हें चाहिए
थी...? मुझे जानना है तुम्हारी ज़िंदगी में मेरे मायने...? मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए मुझे सिर्फ अपना पति
चाहिए | मैं सब करूंगी ख़ुशी ख़ुशी लेकिन नौकरानी नहीं जीवन साथी की
तरह|

.....#तुम्हारी_तनु

और अब मुझे इंतज़ार है शाम का कि रवि आएँ और मैं उन्हें ये  लेटर दे पा

t राकेश कुमार पंवार

Deepak Singh (Deepu)

Deepak Singh (Deepu)

काफी अच्छा लिखा है आपने

20 जनवरी 2023

RAKESH

RAKESH

22 जनवरी 2023

thanks

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RAKESH की डायरी
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