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कभी लिखता हूं करुणा को कभी श्रृंगार लिखता हूं। मैं लिखकर भावनाओं को नया व्यवहार लिखता हूं। पिरो कर कल्पनाओं को यहां अपने ही शब्दों में । मैं रच कर गीत में अपने उन्हें साकार लिखता हूं।। कवि ऋतिक तिवारी श्रृंगार रस.... कानपुर नगर उत्तर प्रदेश

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