24 सितम्बर 2016
आजकल एक बार फिर पितृपक्ष चल रहा है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर श्राद्ध किसका करना चाहिए? मरे हुए परिवारी जनों का अथवा जीवित माता-पिता का? यह एक गम्भीर चिन्तन का विषय है। मुझे श्राद्ध का अर्थ यही समीचीन लगता है कि अपने जीवित माता