30 अप्रैल 2019
क्या कहूँ, कि ज़िन्दगी क्या होती है कैसे यह कभी हँसती और कभी कैसे रो लेती है हर पल बहती यह अनिल प्रवाह सी होती है या कभी फूलों की गोद में लिपटीखुशियों के महक का गुलदस्ता देती हैऔर कभी यह दुख के काँटो का संसार भी हैहै बसन्त सा