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Sarika Saloni की डायरी

Sarika Saloni

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sarika saloni kii ddaayrii

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पुस्तक के भाग

1

मेरे डायरी लिखने का क्रम

14 सितम्बर 2024
0
0
0

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

2

मेरे डायरी लिखने का क्रम

14 सितम्बर 2024
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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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मेरे डायरी लिखने का क्रम

14 सितम्बर 2024
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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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मेरे डायरी लिखने का क्रम

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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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मेरे डायरी लिखने का क्रम

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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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मेरे डायरी लिखने का क्रम

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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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मेरे डायरी लिखने का क्रम

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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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मेरे डायरी लिखने का क्रम

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मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

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