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सफर मेरा अभी जारी है

30 जनवरी 2015

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मेरी हर हरकत पर पूरी दुनिया की पहरेदारी है खुदको पलकों के ऊपर रखना मेरी जिम्मेदारी है देख दरिया शांत रूप गलतफ़हमी तुम पालो मत थोडा सा थका हु लेकिन सफर मेरा अभी जारी है संगमरमर में दफन मुहब्बत लगती कितनी प्यारी है तुमको क्या मालूम इसमें किस किसकी हिस्सेदारी है जिन कारीगरों के हाथ कटे जिनकी आँखों से लहू बहा कुछ एसे कारीगरों की खोज में सफर मेरा अभी जारी है मंदिर मस्जिद गुरद्वारो में भीड़ बहुत ही भारी है एक पत्थर की मूरत के पीछे कितनी मारा मारी है घाट घाट की धुल है चाटी पर खुदा का कोई पता नहीं असल खुदा की खोज में सफर मेरा अभी जारी है ना राधा की , ना कान्हा की , मुरली की लीला सारी है सब गोपियों को भी कान्हा से मुरली ही ज्यादा प्यारी है जिस मुरली के धुन को सुनके सबको चारो धाम मिले एक एसी ही धुन के पीछे सफर मेरा अभी जारी है हाथ जोडकर , सर झुकाकर , परम्परा निभाई सारी है फिर भी मन्नत रही अधूरी ,पर मेने ना हिम्मत हारी है देखूंगा में भी कब तक मुझको , मुझसे तुम जुदा रखोगे एक रोज हारोगे तुम इस आस में सफ़र मेरा अभी जारी है
अनिल

अनिल

अच्छी भावनाए पिरोई है . बधाई

4 अप्रैल 2015

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