छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा नीति, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, वित्त, प्रबंधन —सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी। जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी। अपनी अतुलनीय निर्णय क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया। अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, अटीला आदि शासकों से की जाती है।
यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
6 अप्रैल सन् 1980 शिवाजी महाराज की 300वीं पुण्य तिथि का महत्त्वपूर्ण दिन! इसे स्वयं स्व. प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की गरिमामय उपस्थिति में रायगढ़ परिसर में मनाया गया। परिसर मनुष्यों से खचाखच भरा था। सबके मन में असीम उत्साह भरा हुआ था। समारोह की प्रमुख अतिथि, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में शिवाजी महाराज का गुणगान करते हुए कहा—
“मेरे विचार से शिवाजी महाराज को संसार के महान्तम व्यक्तियों में गिना जाना चाहिए। हमारा राष्ट्र गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। इसीलिए हमारे देश के महान् व्यक्तियों की संसार के इतिहास में उपेक्षा की गई; चाहे वे व्यक्ति भारतीय समाज में कितनी ही ऊँचाई पर विराजमान हुए। निश्चित है कि शिवाजी महाराज यदि किसी यूरोपियन देश में जन्मे होते, तो उनकी स्तुति के स्तंभ ऊँचे आकाश को छू रहे होते। संसार के कोने-कोने में उनकी जय-जयकार हुई होती। ऐसा भी कहा गया होता कि उन्होंने अंधकार में डूबे समग्र संसार को प्रकाशमान कर दिया।” –(लोकराज्य/अप्रैल 1985)
शिवाजी महाराज के संबंध में उत्साहित करने वाली एक ओर बात यह हैं कि जिन महान् विश्वविख्यात विभूतियों के नाम के आगे 'द ग्रेट' लिखकर उन्हें सम्मानित किया जाता है, उनमें छत्रपति शिवाजी महाराज का भी नाम है।
संसार के 100 महानतम व्यक्तियों की एक और सुप्रसिद्ध नामावली है, जिसमें व्यक्तियों का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है—
चित्रकार : माइकेल एंजेलो
आविष्कारक : लियोनार्दो द विंची
दार्शनिक : प्लेटो
धर्म-संस्थापक : गौतम बुद्ध
राजयोद्धा : एलेक्जेंडर
इनमें से प्रथम चार श्रेणियों की हस्तियों के बारे में हम विचार नहीं करेंगे। हम केवल राजाओं, योद्धाओं एवं विश्व विजेताओं के बारे में विचार करेंगे।
संसार के महानतम् (द ग्रेटेस्ट) दस योद्धाओं की नामावलियाँ कई हैं। उनमें से सबसे जानी-मानी नामावली में जो दस महानतम् योद्धा शामिल हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं—
1. एलेक्जेंडर द ग्रेट,
2. जूलियस सीजर
3 हॉनीबॉल,
4. रिचर्ड ( प्रथम / द लॉयन हार्ट)
5. लियोनिडास (प्रथम)
6. स्पार्टेकस
7. सैलेडिन
8. मियामोटो मुसैशी
9. लेफ्टेनेंट ऑडी मरफी एवं
10. सून त्जू।
इनमें से प्रथम चार योद्धाओं की तुलना हम शिवाजी महाराज से करेंगे। बाद के तीन योद्धाओं के जीवन काल की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करेंगे।
हमारी चर्चा के केंद्र में होंगी ये तीन उपाधियाँ—
1. महान् (ग्रेट)।
2. योद्धा।
3. सम्राट् ( एंपरर )।
छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन की विविध घटनाओं की तुलना हम संसार में घटित अन्य महान् घटनाओं के साथ करेंगे एवं गुणवत्ता की कसौटी पर कसेंगे कि श्री शिवाजी महाराज अन्य महान् राजयोद्धाओं के साथ स्थान पा सकते हैं या नहीं। इसके बाद हम 'महामानव' (ग्रेट मैन) एवं 'महानता का सिद्धांत' (ग्रेटनेस थिअरी) के बारे में चर्चा करेंगे।
तदुपरांत हम आठ विदेशी एवं दो स्वदेशी राजयोद्धाओं के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज की तुलना करेंगे। ये दो स्वदेशी राजयोद्धा हैं– अकबर और औरंगजेब।
औरंगजेब (1658-1707) के साथ श्री शिवाजी महाराज (1627-1680) की तुलना अत्यंत उपयुक्त होगी, क्योंकि ये दोनों राजपुरुष समकालीन थे।
अकबर (1542-1606) और छत्रपति शिवाजी महाराज (1627-1680) के शासन काल में भले ही लगभग 100 वर्ष का अंतर है, किंतु भारत-भूमि के जिन हिस्सों पर इनका शासन था, वे लगभग एक जैसे थे। इस कारण इनकी आपसी तुलना न केवल आवश्यक, बल्कि उपयुक्त भी है।
आठ विदेशी राजयोद्धा इस प्रकार हैं—
1. एलेक्जेंडर (ई.पू. 356-323)
2. जूलियस सीजर (ई.पू. 100-047 )
3. हॉनीबॉल (ई.पू. 247-183)
4. अटीला (ई.पू. 406-453)
5. रिचर्ड प्रथम / द लॉयन हार्ट (ई.पू.1157-1199)
6. विलियम वालेस (ई.पू. 1270-1305)
7. एडॉल्फस गस्टाबस (ई.पू. 1594-1632)
8. चंगेज खान (ई.पू. 1163-1227)
17 वीं शताब्दी में भारत में यात्री बनकर आने वाले अंग्रेज, पुर्तगीज, डच एवं फ्रेंच यात्रियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की तुलना अनेक योद्धाओं से की है, साथ ही उपरोक्त आठ योद्धाओं का उल्लेख स्व-लिखित ग्रंथों में किया है।
जिनसे समग्र संसार में हलचल मच जाए, ऐसी अनेक घटनाओं का प्रत्यक्ष अनुभव शिवाजी महाराज अपने एक ही जीवन में ले चुके थे। उनके जीवन में दुर्बलता के लिए कोई स्थान नहीं था। अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने एवं प्रजा को सामाजिक बुराइयों से दूर रखने के उद्देश्यों को उन्होंने कैसे प्राप्त किया, इसकी चर्चा हम आगे करेंगे।
उपर्युक्त तुलनाओं के लिए जिन कसौटियों का उपयोग हम करने जा रहे हैं, वे इस प्रकार हैं—
1. शिवाजी महाराज का बचपन।
2. शिवाजी महाराज और डेविड व गोलिएथ।
3. शिवाजी महाराज और थर्मोपीली।
4. शिवाजी महाराज और छापामार युद्ध (गनिमी कावा)।
5. शिवाजी महाराज और संसार में लोगों की अत्यंत निर्मम हत्याएँ।
6. शिवाजी महाराज और ट्रॉय।
7. शिवाजी महाराज और चीन की दीवार।
8. शिवाजी महाराज और उनकी मुक्ति।
9. शिवाजी महाराज और जल सेना।
10. शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक और मैग्ना कार्टा।
11. शिवाजी महाराज और जिनेवा युद्ध-संधि।
12. शिवाजी महाराज और धर्म।
13. शिवाजी महाराज और डिप्लोमेसी।
14. शिवाजी महाराज और इमर्जेंसी (संकटकालीन परिस्थिति)।
15. शिवाजी महाराज और फ्रेंच राज्यक्रांति।
16. शिवाजी महाराज और मराठी भाषा।
17. शिवाजी महाराज और सामाजिक सुधार।
18. शिवाजी महाराज और गुलामी की प्रथा।
19. शिवाजी महाराज और उनके पिताश्री।
20. शिवाजी महाराज और उनके बंधु।
21. शिवाजी महाराज और उनके पुत्र।
22. शिवाजी महाराज की मृत्यु।
23. शिवाजी महाराज और उनके सहायक, संगी-साथी।
24. शिवाजी महाराज और उनकी न्याय व्यवस्था।
25. शिवाजी महाराज और भारत का स्वतंत्रता संग्राम।
26. शिवाजी महाराज विदेशियों की दृष्टि में।
27. शिवाजी महाराज और ग्रेटनेस।
28. शिवाजी महाराज और राष्ट्रनिर्माण।
29. शिवाजी महाराज की अद्वितीयता।
30. शिवाजी महाराज और संसार के कुछ महायोद्धा।