भक्त-जगत् में प्रह्लाद सर्वशिरोमणि माने जाते हैं। प्रह्लाद की भक्ति में कहीं भी कामना, भय और मोह को स्थान नहीं है, उनकी भक्ति सर्वथा विशुद्ध, अनन्य और परम आदर्श है। उन्हीं प्रह्लाद के चरित्र का इस पुस्तक में चित्रण किया है। आशा है भागवतरत्न प्रह्लाद के आदर्श जीवन से भारत के नर-नारी विशेष लाभ उठायेंगे ।