कोई सुलह करा दे जिंदगी की उलझनो से मेरीबड़ी तलब है हमें भी खुलकर मुस्कुराने की
बड़े महँगे किरदार है ज़िंदगी में साहिबासमय-समय पर सबके भाव बढ़ जाते हैं
हम भारत के वीर हैंहम अर्जुन के तीर हैंहम भारत वासी गंभीर हैंहम विश्व की तकदीर हैंहम पवित्र गंगा नीर हैंहम भारत के वीर हैं।
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा।आओ प्यारे वीरों आओ,देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,एक साथ सब मिलकर गाओ,प्यारा भारत देश हमारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा।तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा।
नन्हे - नन्हे प्यारे - प्यारे, गुलशन को महकाने वालेसितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के। नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वालीकहलाते हैं हिम्मत वाले, हम ब
सीमा (आपकी ख्वाहिशों को मैंने सम्भाल रखा है) बेटा अब खुद काम करके पैसे कमाने वाला हो गया था, इसलिए बात - बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था। ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। मगर अब
राव हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर "रणतभँवर के शासक थे। ये पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। ये इतिहास में ''हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ 1339 (ई.स.
आदिवासी योद्धा पूंजा भील जिन्होंने हल्दीघाटी युद्ध किया। जिसके धनुष मात्र से अकबर की सेना में हड़कंप मच जाता था। ऐसे आदिवासी योद्धा को नमन। राणा पूंजा भील का जन्म मेरपुर में हुआ था। उनके पिता के
अजबदे पंवार महाराणा प्रताप की पत्नी तथा अमरसिंह सिसोदिया की माँ थी। इनके पिता का नाम राव माम्रक सिंह तथा माता का नाम हंसा बाई था। अजबदे पंवार ने महाराणा प्रताप की राजनीतिक मामलों में काफी मदद की थी।
महारानी जयवंताबाई महाराणा उदय सिंह की पहली पत्नी थी, और इनके पुत्र का नाम महाराणा प्रताप था। यह राजस्थान के जालौर की एक रियासत के अखे राज सोंगरा चौहान की बेटी थी। ... जयवंता बाई उदय सिंह को राजनी
पृष्ठभूमिप्राचीनकाल से हिंदुओं की पुरानी युद्ध-प्रणाली प्रचलित थी, जिसमें दोनों पक्षों के बीच में खंबे के रूप में एक चिन्ह रखा जाता था शंख, भेरी, आदि बजाकर युद्ध प्रारंभ किया जाता था। शत्रु को बिना इश
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा नीति, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, वित्त, प्रबंधन —सभी क्षेत्रों में उन
पुंडीर राजवंश- रानी सावलदे ओर राजा कारक की कथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे राजा कारक ओर रानी सावलदेह का किस्सा लोक गीत ओर रागनियो मे बहुत गाया जाता है । लेकिन बहुत कम ही लोग जानते है की रानी सावलदे ओ
महाराणा प्रताप... गिरा जहाँ पर खून वहाँ का पत्थर-पत्थर जिंदा है, गिरा जहाँ पर खून वहाँ का पत्थर-पत्थर जिंदा है, जिस्म नहीं है मगर नाम का अक्षर-अक्षर जिंदा है, जिस्म नहीं है मगर नाम का अक
महाराणा प्रताप की जीवनी :- नाम : महाराणा प्रताप जन्म : 9 मे, 1540 कुम्भलगढ़ दुर्ग पिता : राणा उदय सिंह माता : महाराणी जयवंता कँवर घोड़ा : चेतक महाराणा प्रताप सिंह ( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार वि
"राजमाता नायिका देवी पाटन" *क्षत्राणी "चालुक्य (सोलंकी) राजपूतो का पराक्रम" *राजमाता नायिका देवी जिसने साबुद्दीन मोहम्मद गोरी को भारत में पहली पराजय का रास्ता दिखाया युद्धभूमि में धूल चटा दी थी।
क्षत्राणी पन्नाधाय : मेवाड़ के इतिहास में जिस गौरव के साथ प्रायः वीर शीरोमणि महाराणा प्रताप को याद किया जाता है, उसी गौरव के साथ पन्नाधाय का भी नाम लिया जाता है। जिन्होनें स्वामी भक्ति को सर्वो
*हिंदी दोहा बिषय- तिरंगा**1*जहाँ तिरंगा देखता , जुड़ते #राना हाथ |जन गण मन के गीत पर , उन्नत रखता माथ ||*2*नौ अगस्त व्यालीस को , #राना था आव्हान |गोरो
पण्डितराज जगन्नाथ शास्त्री तैलंग . सत्रहवीं शताब्दी का पूर्वार्ध था, दूर दक्षिण में गोदावरी तट के किनारे एक छोटे से राज्य की राज्यसभा में एक विद्वान ब्राह्मण। सम्मानित पद पर आसीन थे
पहले राष्ट्र 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹एक दिन सम्राट चंद्रगुप्त अपने मंत्रियों के साथ एक विशेष मंत्रणा में व्यस्त थे तभी प्रहरी वहां आकर सूचित करता है कि आचार्य चाणक्य राजभवन में प