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दुनियाँ पहले सी मुझको अब दिखती नही.... दिन-भर चलती है अब ये तो रुकती नहीं.... तुमने छोडा था मुझको सफर में कहीं..... लाख चाहों मगर यादें मिटती नहीं....... -शिवांश शुक्ला (सरस) 🙏❣️🖋