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Dev Rishi की पुस्तकें

मेरे गांव की दो सखी

मेरे गांव की दो सखी

दो बहन की कहानी ,उसके व्यक्तित्व से लेकर, उसकी जिन्दगी के हर पहलू को देखने को मिलेगी, साथ ही साथ आप लोग को इस कहानी में अलग अलग किरदार जो आप लोगों को मन मोह लेंगे। तो पढ़ते रहिए ... मेरे गांव की दो सखी..

7 पाठक
3 रचनाएँ

निःशुल्क

मेरे गांव की दो सखी

मेरे गांव की दो सखी

दो बहन की कहानी ,उसके व्यक्तित्व से लेकर, उसकी जिन्दगी के हर पहलू को देखने को मिलेगी, साथ ही साथ आप लोग को इस कहानी में अलग अलग किरदार जो आप लोगों को मन मोह लेंगे। तो पढ़ते रहिए ... मेरे गांव की दो सखी..

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सफ़र ए तन्हा..

सफ़र ए तन्हा..

यह संग्रह .. कविता की होगी, .. जिसमें भाव व्यक्त अपने पंक्तियों से माध्यम से करूंगा।

1 पाठक
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सफ़र ए तन्हा..

सफ़र ए तन्हा..

यह संग्रह .. कविता की होगी, .. जिसमें भाव व्यक्त अपने पंक्तियों से माध्यम से करूंगा।

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आंखों की लफ्ज़

आंखों की लफ्ज़

कहानी .. सफ़र इतना ही अच्छा जितना कम ज़िन्दगी हो, मुहब्बत ...की पाने की चाह...

1 पाठक
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आंखों की लफ्ज़

आंखों की लफ्ज़

कहानी .. सफ़र इतना ही अच्छा जितना कम ज़िन्दगी हो, मुहब्बत ...की पाने की चाह...

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हां की धीमी आवाज़

हां की धीमी आवाज़

कविता संग्रह है, जिसमें , अपने परिवार संबंधित कविता पढ़ने को मिलेगा।..

1 पाठक
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हां की धीमी आवाज़

हां की धीमी आवाज़

कविता संग्रह है, जिसमें , अपने परिवार संबंधित कविता पढ़ने को मिलेगा।..

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Dev Rishi के लेख

"हां " की धीमी आवाज़...

23 दिसम्बर 2023
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फोन किया तो हां की बस आवाज आईइतनी धीमी की मुझे यकीन न हो पाईतंग करते थे तो एक आवाज़ में पापा को बुला लेतीऔर आज तुम उस घर में गई तो इतना क्यों बदल गई...कुछ नहीं कैसा है तुम ..बात को टालते हुए बहन बोलीअ

बातों का संगम हुईं

22 दिसम्बर 2023
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मिलन की संयोग हुईं, कुछ पल उनकी बातों की आनंद मिलीमीठी मधुर संगीत सी , मुख्य से शब्दों की उच्चारण हुईझेलम की पानी, उनकी तारीफ में आकर झुक गईकश्मीर की हसीन वादियों उस संगम की साक्षी बन रहीसूर्य की

तेरी आंखों की लफ्ज़..

22 दिसम्बर 2023
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भाग -2अजय खाना खाकर थाली को नीचे रख दिया , जैसा वे हर दिन की तरह किया करता। राधा जानबूझकर उसकी थाली नीचे धोने के लिए नहीं ले गई। क्यों कि उसे पता था कि भाई थाली नहीं धोया होगा । अब मजा आएग

यादों का जकीरा तेरी..

21 दिसम्बर 2023
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(नैना ... एक पंछी जो मेरे महबूबा के गांव में रहती हैंएक दिन जब उनकी(महबूबा ) दर्द देखा नहीं गया । तो मुझे से कैसे न कैसे करके मिलने चली आई । जब मैं उसे पहचान कर उससे पूछा कि कैसे आना

तेरी आंखों की लफ्ज़...

21 दिसम्बर 2023
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(भाग 1)एक कहानी की शुरुआत करने जा रहा हूं। आशा है कि आप लोग इस कहानी को पसंद करेंगे और समीक्षा की आशीवार्द जरूरत देंगे। पटना , बिहार जब कोई अपनी मंजिल उस पिता की आंसू की आग से खो

मेरे गांव की दो सखी

21 दिसम्बर 2023
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भाग -3गीता जी सब्जी काटकर चुलहे में लकड़ी देते हुए बोली , अगर तुम दोनों महारानी का गप्प हो गई है तो जरा सरस्वती आटा गूंथ लें। मेरा मन नहीं है मां तुम ही गूंथ लेना तब तक हम दोनों घुमकर आते हैं। गी

मेरे गांव की दो सखी

21 दिसम्बर 2023
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भाग -2अंजलि के पापा मनोज यादव अपने ही गांव के चौक पर मिठाई की दुकान खोल रखे थे ।बहुत ही विनम्र सीधा साधा आदमी हैं पुजा पाठ करने वाले व्यक्ति हैं। हनुमान जी के परमभक्त कह सकते हैं,।इनके दुकान में

मेरे गांव की दो सखी

21 दिसम्बर 2023
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मित्रता, गांव में आज भी जिंदा है...... बिहार के एक छोटे से गांव रामपुर था इस मिट्टी ने दो सखी को जन्म दिया । सरस्वती और अंजलि एक दुसरे की जान थी। गांव के हर मुहल्ले और चौंक पर कोई नाम था तो इन दोनो

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