गीतिका आधार छंद- शक्ति , मापनी 122 122 122 12, समांत-ओगे, पदांत- नहीं “गीतिका”बनाया सजाया कहोगे नहीं गले से लगाया सुनोगे नहीं सुना यह गली अब पराई नहीं बुलाकर बिठाया हँसोगे नहीं॥बनाकर बिगाड़े घरौंदे बहुत महल यह सजाकर फिरोगे नहीं॥बसाये न जाते शहर में शहर नगर आज फिर से घुमोगे नहीं॥चलो शाम आई सुहानी बहु