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सोचता हूँ आज फिर बच्चा बन जाऊ....

21 जनवरी 2017

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सोचता हूँ आज फिर बच्चा बन जाऊ,

बड़ो की इस दुनिया से आजाद हो जाऊ|

आज फिर दोस्तों की महफ़िल सजाउ,

वही पुराने किस्से दोहराउ,

बड़े होकर कुछ बनने की कहानी सुनाऊ,

सोचता हूँ आज फिर बच्चा बन जाऊ...

आज फिर उन पुराने दोस्तों के बिच खेल ने जाऊ,

और फिर सुबह से शाम बस खेलता जाऊ,

माँ के बुलाने पर बस कहता जाऊ की अभी आता हूँ,

और बस बार बार यही दोहराऊ |

सोचता हूँ आज फिर बच्चा बन जाऊ...

आज फिर दूर तक युहीं निकल जाऊ,

अपनी मस्ती में आज फिर खो जाऊ,

सोचता हूँ आज फिर बच्चा बन जाऊ...

बड़ो की इस दुनिया से आजाद हो जाऊ....

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kuchsawal
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