मेरे और नाज़ के अफ़साने - 1
कि वो मुलाकातपहली नहीं थी।________________________-- चार आँखे मिलीऔर दो जोड़ीहोठों पर मुस्कानथिरक उठी। आँखों का मिलनाऔर होठों काहँसना, ये पहलीबार तो नहींहुआ था। नही आखिरी बार।पर होठों कीहँसी यूँ पहलीबार बिखरी थी।इस हँसी सेदो अनाम बदननहा उठे थे।न कि सिर्फबदन बल्कि उनकेभीतर धड़कते दिलभी। जो येजिस्मो