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सुनील कुमार की डायरी

सुनील कुमार

5 अध्याय
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sunil kumar ki dir

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पुस्तक के भाग

1

दोस्ती

22 सितम्बर 2015
0
3
1

वफ़ा की तलाश करते रहे हमबेबफाई में अकेले मरते रहे हम,नहीं मिला दिल से चाहने वालाखुद से ही बेबजह डरते रहे हम,लुटाने को हम सब कुछ लुटा देतेमुहब्बत में उन पर मिटते रहे हम,खुद दुखी हो कर खुश उन को रखातन्हाईयों में सांसे भरते रहे हम,वो बेवफाई हम से करते ही रहेदिल से उन पर मरते रहे हम|

2

Joke

23 सितम्बर 2015
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4

शादी""करंट" के तार की तरह होती हैं...!!!सही जुड़ जाये तो सारा जीवन "रोशन"...!!!!औरगलत जुड़ जाये तो"जिंदगी" भर "झटके"...!!!

3

ज़िंदगी

23 सितम्बर 2015
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6
1

गरीब दूर तक चलता हैखाना खाने के लिए।अमीर मीलों चलता हैखाना पचाने के लिए।किसी के पास खाने के लिएएक वक्त की रोटी नहीं हैकिसी के पास खाने के लिएवक्त नहीं है।कोई लाचार हैइसलिए बीमार है।कोई बीमार हैइसलिए लाचार है।कोई अपनों के लिएरोटी छोड़ देता है।कोई रोटी के लिएअपनों को छोड़ देते है।ये दुनिया भी कितनी निरा

4

जीवन की रंगोली

24 सितम्बर 2015
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1

पहले जैसा रंग नहीं है जीवन की रंगोली में,जाने कितना ज़हर भरा है अब लोगों की बोली में !

5

भरोसा

26 सितम्बर 2015
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5

उनका भरोसा मत करो,जिनका ख्यालवक्त के साथ बदल जाऐ ।भरोसा उनका करोजिनका ख्याल तब भीवैसा ही रहेजब आपका वक्त बदल जाऐ।

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