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ज़िंदगी

23 सितम्बर 2015

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गरीब दूर तक चलता है खाना खाने के लिए। अमीर मीलों चलता है खाना पचाने के लिए। किसी के पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी नहीं है किसी के पास खाने के लिए वक्त नहीं है। कोई लाचार है इसलिए बीमार है। कोई बीमार है इसलिए लाचार है। कोई अपनों के लिए रोटी छोड़ देता है। कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देते है। ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है। पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे आज दोस्तों की यादों में रहते है। पहले लड़ना मनाना रोज का काम था आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है। सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया, जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।

सुनील कुमार की अन्य किताबें

23 सितम्बर 2015

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दोस्ती

22 सितम्बर 2015
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वफ़ा की तलाश करते रहे हमबेबफाई में अकेले मरते रहे हम,नहीं मिला दिल से चाहने वालाखुद से ही बेबजह डरते रहे हम,लुटाने को हम सब कुछ लुटा देतेमुहब्बत में उन पर मिटते रहे हम,खुद दुखी हो कर खुश उन को रखातन्हाईयों में सांसे भरते रहे हम,वो बेवफाई हम से करते ही रहेदिल से उन पर मरते रहे हम|

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Joke

23 सितम्बर 2015
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शादी""करंट" के तार की तरह होती हैं...!!!सही जुड़ जाये तो सारा जीवन "रोशन"...!!!!औरगलत जुड़ जाये तो"जिंदगी" भर "झटके"...!!!

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ज़िंदगी

23 सितम्बर 2015
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गरीब दूर तक चलता हैखाना खाने के लिए।अमीर मीलों चलता हैखाना पचाने के लिए।किसी के पास खाने के लिएएक वक्त की रोटी नहीं हैकिसी के पास खाने के लिएवक्त नहीं है।कोई लाचार हैइसलिए बीमार है।कोई बीमार हैइसलिए लाचार है।कोई अपनों के लिएरोटी छोड़ देता है।कोई रोटी के लिएअपनों को छोड़ देते है।ये दुनिया भी कितनी निरा

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जीवन की रंगोली

24 सितम्बर 2015
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पहले जैसा रंग नहीं है जीवन की रंगोली में,जाने कितना ज़हर भरा है अब लोगों की बोली में !

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भरोसा

26 सितम्बर 2015
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उनका भरोसा मत करो,जिनका ख्यालवक्त के साथ बदल जाऐ ।भरोसा उनका करोजिनका ख्याल तब भीवैसा ही रहेजब आपका वक्त बदल जाऐ।

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