shabd-logo

common.aboutWriter

निजी इंजीनियरिंग इंडस्ट्री से सेवा निवृत इंजिनियर मेनेजर. आयु 81 वर्ष, अभी; भी कुछ लिखने पढने की जुस्तजू लगी रहती है. चार वर्ष तक; BITS पिलानी के एम्.बी.ए व एम्.टेक के छात्रों को क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए प्राध्यापक था. चार पुस्तकें भी लिखी हैं; क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टमज के विषय पर; विभिन्न टॉपिकों पर साहित्य और कविता पढ़ने में भी रूचि है. इस बारे में अन्य सदस्यों से संपर्क में रहना चाहूंगा . अभी अभी एक पुस्तक सरल हिंदी में श्रीमद्भगवद्गीता पर लिखी है -सामान्य व्यक्तियों के लिए मौलिक समझने के लिए. " श्रीमद्भगवद्गीता और आप " . आजकल सारा ध्यान संस्कृत पढ़ने व उसके द्वारा गीता और वेदों के अध्ययन पर है। **

common.awards_and_certificates

prize-icon
दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-05-17
prize-icon
दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-24
prize-icon
दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-05-23

common.kelekh

चुनाव में मर्यादाएँ

29 मई 2024
0
0

2019 के चुनाव सम्पन्न होने के पश्चात मैंने 'शब्द' पर एक लेख प्रेषित किया था –“2019 के चुनाव अभियान में मर्यादाएं तार तार”।  अब 2024 के चुनाव भी पाँच वर्ष बाद फिर सम्पन्न हो गए हैं (लगभग)। ये समाज के

‘महात्मा’ वृत्रासुर और श्री विष्णु जी द्वारा जातिगत भेदभाव

11 मई 2024
0
0

महात्मा और असुर; यह पढ़ कर आप भी चौंक गए होंगे। परंतु यह सच है। ये निम्न कहानी वाल्मीकि रामायण से आपके लिए प्रस्तुत है।             बहुत पहले की बात है (शायद त्रेता या द्वापर की) जब देवता और असुर परस्

श्री हनुमान जी –रामचरित मानस v/s वाल्मीकि रामायण

27 मार्च 2024
1
1

 हनुमानजी के भक्तों ने शायद ही कभी ध्यान दिया हो कि राम चरित मानस में हनुमान जी के जो गुण चरितार्थ किए गए हैं, वे मुख्यत: शक्ति, भक्ति(श्रीराम की) और आज्ञा पालन हैं। क्योंकि इन सब गुणों को कठिन कार्य

"निस्वार्थ भाव से आया आगंतुक"

8 दिसम्बर 2023
1
1

"निस्वार्थ भाव से आया आगंतुक"  वरिष्ठ जीवन में एक प्रमुख कमी जो अनुभव की जाती है वह है व्यक्तिगत संपर्क। संपर्क तो व्यावसायिक जीवन के बाद से ही कम होने आरंभ हो जाते हैं । इस के अतिरिक्त इंटरनेट और मो

सरल गीता ज्ञान -भाग 8 -कर्म करने की प्रक्रिया ---

2 जून 2023
1
1

 मित्रो,   सप्रेम व सादर  नमस्ते।   आशा है आप सभी कुशल व शांत होंगे।  यह भाग पिछले अर्थात 7वें भाग से connected है। अत:  इन दोनों भागों में निरंतरता होने के कारण इस भाग के लिए पहले, कृपया 7वां  भाग

सरल गीता ज्ञान भाग 6 -कर्मों का स्वरूप।

2 जून 2023
0
0

अभी तक के 5 भागों में:  कर्मयोग के दो प्रमुख श्लोकों -2/47 व 2/48 पर और राग, द्वेष, आसक्ति शब्दों पर चर्चा की गयी। आपको  याद होगा कि कर्म शब्द से पहले –श्लोक 2/47 में  कर्म से पहले ‘निर्धारित’; और

सरल गीता ज्ञान भाग 7 - कर्म किए जाने की प्रक्रिया

17 मई 2023
0
0

  पिछ्ले अर्थात छटे भाग को सुनने के बाद शायद  आप ने अपने कर्मों/कर्तव्यों की समीक्षा की हो।  हो सकता है कि आप अपने सभी कर्मों को जानते हैं और उन्हे पूरी लगन के साथ कर रहे हैं? ।  ये तो हुई नियत कर्

सरल गीता ज्ञान -भाग 5

25 अप्रैल 2023
0
0

भाग 5-श्लोक 2/48 का विवरण व 2/47 व 2/48 का सारांश। पिछले भाग - भाग 4 में राग, द्वेष, आसक्ति शब्दों पर चर्चा की गयी थी। ये शब्द गीता में अनेकों बार आते हैं ।  अब दो प्रमुख श्लोकों में से श्लोक 2/48 क

सरल गीता ज्ञान -4 (आसक्ति, राग, द्वेष)

24 अप्रैल 2023
0
0

अभी तक के सरल गीता ज्ञान के तीन भागों में श्लोक 2/47 की चर्चा गयी है। जिस  का सारांश यह है कि: प्रत्येक व्यक्ति को अपने  निर्धारित कर्म , पूरे कौशल व क्षमता से करने हैं, कर्म सफल हो अर्थात परिणाम मि

सरल गीता ज्ञान -3

4 जुलाई 2022
0
0

 गीता श्लोक 2/47 –(contd)---   पिछली बार (भाग 2 में) “कर्म करने और फल की इच्छा” के संबंध पर चर्चा की गयी थी।   इस के लिए अध्याय 2 के श्लोक 47 के पहले वाक्य को पढ़ा गया था-  कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फल

किताब पढ़िए